पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड की कमान सौंपकर BJP ने साधे एक तीर से कई निशाने

punjabkesari.in Monday, Jul 05, 2021 - 10:38 AM (IST)

 

नैनीतालः उत्तराखंड की राजनीति के शिखर पर पहुंचे नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को तक पहुंचने में अपनी मेहनत के साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का विशेष वरदहस्त प्राप्त हुआ है।

महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं खांटी संघी भगत सिंह कोश्यारी का भी उन्हें बेहद करीबी माना जाता है और माना जा रहा है कि उन्हीं की कृपा से वे सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे हैं। भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) उनकी राजनीति की प्रथम पाठशाला रही है। धामी मूल रूप से पिथौरागढ़ जिले में कनालीछीना के ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडीहाट में जन्म 16 सितंबर 1975 को हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उधमसिंह नगर जिले के साथ ही लखनऊ में हुई है। यहीं से उनके जीवन में राजनीतिक सफर की शुरूआत हुई। इसी दौरान वह भाजपा के प्रखर नेता भगत सिंह कोश्यारी के सम्पकर् में आए और लगातार राजनीति की सीढ़ी चढ़ते गए।

संघ से बेहद अच्छे रिश्ते रखने वाले धामी (45) को केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है। उनके पिता शेर सिंह भारतीय सेना में रहे हैं। इसीलिए राष्ट्रवाद उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में रहा है। उनके माता-पिता काफी समय पहले पिथौरागढ़ से खटीमा में आकर बस गए थे। यही कारण है कि उन्होंने राज्य आंदोलन की धरती खटीमा को ही अपनी कर्मस्थली बनाया। वे मुख्यमंत्री पद पर पहुंचने से पहले एबीवीपी में भी अपनी छाप छोड़ चुके हैं। वह वर्ष 2017 में खटीमा से भाजपा के दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। वर्ष 2012 में वह यहां से पहली बार विधानसभा सदस्य चुने गए थे। उनकी राजनीतिक क्षमता के चलते ही 2017 में भी उन्हें खटीमा की जनता ने भरपूर प्यार दिया और विधायक के तौर पर दूसरी बार नेतृत्व सौंपा। उत्तराखंड बनने के बाद वे 2002 से 2008 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजुयुमो) के दो बार प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान उन्होंने युवा शक्ति को भाजपा से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्ष 2010-2012 में उन्हें शहरी अनुश्रवण समिति (दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री) का उपाध्यक्ष बनाया गया।

राज्य गठन के बाद वह 2001-2002 में प्रदेश के मुख्यमंत्री के विशेष कार्याधिकारी के तौर पर भी काम कर चुके हैं। युवा तुकर् को सत्ता की कमान सौंपने से पार्टी ने जहां पुराने दाग को धोने की कोशिश की है वहीं एक तीर से कई निशाने भी साधे हैं। बार-बार मुख्यमंत्री बदलने से पार्टी की साख को धक्का लगा है और पार्टी ने नए चेहरे के तौर पर धामी को आगे कर जनता में विश्वास जगाने और आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में कुमाऊं-गढ़वाल के साथ-साथ पर्वतीय-मैदानी में भी संतुलन साधने की कोशिश की है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Nitika

Recommended News

Related News

static