थराली विधानसभा के उपचुनाव के परिणाम से भाजपाई खुश, कांग्रेस में छाई मायूसी

punjabkesari.in Thursday, May 31, 2018 - 07:31 PM (IST)

देहरादून: थराली विधानसभा के उपचुनाव के परिणाम से एक ओर भाजपा में जहां जश्न का माहौल है, तो कांग्रेस में मायूसी छाई हुई है। महज 1981 वाटों से पीछे रहने का मलाल कांग्रेस को हमेशा बना रहेगा। कांग्रेसी अब मान रहे हैं कि यदि एकजुट होकर चुनाव लड़ते, तो आज तस्वीर कुछ और ही होती। थराली का उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ था। 2017 में हुए आम विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 में से 57 सीटें मिली थीं, तो कांग्रेस को महज 11 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। बीते 26 फरवरी को थराली के विधायक व भाजपा नेता मगनलाल की मृत्यु के बाद थराली में उपचुनाव की परिस्थिति बनी। भाजपा ने मगन लाल की पत्नी मुन्नी देवी पर दांव खेला, तो कांग्रेस ने 2017 के प्रत्याशी डा. जीतराम पर ही फिर से दांव खेला। 

 

सत्ताधारी दल भाजपा के लिए थराली उपचुनाव इसलिए अहम था, क्योंकि उसे अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखना था। ताकि यह कहा जा सके कि जनता ने उपचुनाव के जरिये त्रिवेंद्र सरकार के डेढ़ वर्ष के कार्यकाल पर मोहर लगाई है। दूसरी ओर, विपक्षी दल कांग्रेस के सामने भाजपा की एक सीट छीनने की चुनौती थी। इस चुनौती से पार पाकर कांग्रेस दावा कर सकती थी कि जनता ने भाजपा के शासन को नकार दिया है। सियासी प्रभाव की दृष्टि से देखें, तो भाजपा के बजाय कांग्रेस के लिए यह सीट जीतना ज्यादा फायदेमंद रहता। कांग्रेस इस वक्त राज्य के साथ ही पूरे देश में बुरे दौर से गुजर रही है। ऐसी स्थिति में उपचुनाव की जीत उसके लिए संजीवनी साबित हो सकती थी। उसके कार्यकर्ताओं का मनोबल भी इस जीत से सातवें आसमान पर होता। इधर, भाजपा इस जीत पर इतरा सकती है, क्योंकि सदन में उसके विधायकों का संख्या बल फिर से 57 हो गया है।  

 

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि थराली उपचुनाव में कांग्रेस के एक-एक कार्यकर्ता ने कड़ी मेहनत की। जनता जनार्दन है। जनता ने फिर से भाजपा के पक्ष में मतदान किया। कांग्रेस जनादेश का सम्मान करती है। जल्द ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाकर हार के कारणों की समीक्षा भी की जाएगी। वहीं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि कांग्रेस ने थराली उपचुनाव में जनता को गुमराह करने का बहुत प्रयास किया। लेकिन जनता को मालूम था कि त्रिवेंद्र सरकार विकास के एजेंडे पर मजबूती के साथ चल रही है। ऐसे में थराली की जनता भला कैसे विकास के रास्ते से हटने की सोचती। थराली की जीत जनता की जीत है और त्रिवेन्द्र सरकार के कार्यों पर जनता की मुहर है।

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