नशे में लड़खड़ाता बचपन, डूब रहा देश का भविष्य

punjabkesari.in Saturday, Sep 16, 2017 - 02:57 PM (IST)

उत्तराखंड(यामीन मालिक): नशा एक ऐसी बुराई है जो समूल जीवन को नष्ट कर देती है। नशे को बर्बादी का घर कहा जाता है क्योंकि नशा चाहे कोई भी हो व्यक्ति और उसके परिवार दोनों के जीवन में जहर घोल देता है। जहां एक ओर नशे का कारोबार बढ़ता ही जा रहा है, वहीं बच्चों से लेकर बूढ़े तक नशा करते नजर आ रहे हैं।

शहरों में ही नहीं बल्कि गांव में भी इसका कारोबार तेजी से फैल रहा है। शहर की अधिकांश युवा पीढ़ी नशे की पकड़ में आ चुकी है। इतना ही नहीं छोटे-छोटे गरीब बच्चे भी नशे की गिरफ्त में आ चुके हैं और उनका हंसता खेलता बचपन नशे के शिकंजे में जकड़ता जा रहा है। छोटे -छोटे बच्चों को पन्नी में सिलोचन पंचर जोड़ने की ट्यूब से नशा करने की लत लग गई है। यह लत इस कदर बढ़ चुकी है कि वह बच्चे अब रोटी के बिना तो रह सकते हैं लेकिन नशे के बिना नहीं।

नशे के आदि हो चुकें लोग चोरी, लूटमार, रेप आदि जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। शहर में स्मैक, चरस, गांजा, शराब आदि आराम से मिल जाती है जोकि पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है कि आखिर शहर के अंदर नशा करने वाली चीजें लोगों को कैसे बेची जा रही हैं। जबकि पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ अभियान जारी है और दर्जनों नशा कारोबारियों को जेल भी भेजा गया है, लेकिन युवाओं और बच्चों में नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाना भी जरुरी हो गया है। 

बच्चे किसी भी देश या राज्य के विकास के लिए नींव होते है। अब देखना यह है कि विकास के बड़े बड़े दावे करने वाले राजनीतिक दल क्या सरकार बनने के बाद इन मासूमों की सुध लेंगे।