रिश्वत मामला: CBI जांच को मुख्यमंत्री ने ली सुप्रीम कोर्ट की शरण

punjabkesari.in Thursday, Oct 29, 2020 - 11:20 AM (IST)

 

नैनीतालः मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने अपने खिलाफ कथित घूसखोरी प्रकरण की सीबीआई से जांच के मामले में उच्चतम न्यायालय की शरण ली। साथ ही उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को विशेष याचिका के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी कर झारखंड से जुड़े कथित घूसखोरी मामले में सीबीआई को अभियोग पंजीकृत करने के निर्देश दिए थे। एकलपीठ ने यह भी कहा था कि सीबीआई को सभी दस्तावेज 2 दिन के अंदर उपलब्ध करवाए जाएं। इस आदेश के बाद सरकार और मुख्यमंत्री की परेशानी बढ़नी स्वाभाविक मानी जा रही थी। इस आदेश के आने के बाद सरकार में हलचल दिखाई दे रही थी। आनन फानन में मुख्यमंत्री के सभी दौरे रद्द कर दिए गए और काफी मशक्कत के बाद आखिरकार त्रिवेंद्र ने उच्च न्यायालय के निर्णय को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे डाली। महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री की ओर से इस मामले को विशेष याचिका के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी गई है। मुख्यमंत्री की ओर से स्वयं इस मामले में याचिका दाखिल की गयी है। याचिका उच्चतम न्यायालय में पेश कर दी गई है। याचिका का डायरी नंबर 23449/2020 है और याचिका दोपहर 12 बजकर 24 मिनट पर उच्चतम न्यायालय में फाइल की गई है। याचिका में उमेश कुमार को पक्षकार बनाया गया है।

बता दें कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने उमेश कुमार के खिलाफ दायर मामलों को खारिज कर दिया था। साथ ही घूसखोरी मामले में सीबीआई को मामला दर्ज करने के निर्देश दे दिए थे। मामला नोटबंदी से पहले झारखंड से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि मुख्यमंत्री ने झारखंड का प्रभारी रहते हुए भाजपा नेता अमृतेश सिंह चौहान को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के नाम पर लाखों की घूस ली। साथ ही घूस का यह पैसा उनके करीबी लोगों के बैंक खातों में जमा किया गया है। इसके साथ ही यह भी आरोप है कि सरकार के इशारे पर उमेश कुमार के खिलाफ देहरादून में मामले दर्ज किए गए, जिसे खारिज करने के लिए उमेश ने उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकायें दायर कीं। उच्च न्यायालय ने सीबीआई को मामला दर्ज करने के निर्देश देते हुए उमेश कुमार की याचिकाओं को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया।

Nitika