समीक्षा बैठक में कृषि सचिव और निदेशक पर CM नाराज, लगाई फटकार

punjabkesari.in Tuesday, May 15, 2018 - 09:24 PM (IST)

देहरादून: कृषि विभाग की समीक्षा के दौरान अधिकारियों की चुप्पी उन पर भारी पड़ गई। कुछ सवालों का जवाब न मिलने पर मुख्यमंत्री आग बबूला हो गए। उन्होंने विभाग के सचिव व निदेशक समेत तमाम अफसरों को जमकर फटकार लगाई। इतना ही नहीं, सीएम ने समीक्षा बैठक बीच में ही छोड़ दी और अधिकारियों को पहले पूरी तैयारी करने और फिर बैठक की तिथि निर्धारित करने को कहा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर हमेशा गंभीर रहे हैं। खासकर प्रधानमंत्री के किसी भी प्रोजेक्ट को शत प्रतिशत और समय पर लागू कराना उनकी प्राथमिकता में शामिल है। यही कारण है कि नियमित अंतराल पर केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा की जाती है।

 

मंगलवार को राज्य सचिवालय में कृषि विभाग की समीक्षा का कार्यक्रम था। सुबह ग्यारह बजे मुख्यमंत्री ने सचिवालय के सभागार में कृषि मंत्री सुबोध उनियाल और अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह की मौजूदगी में समीक्षा बैठक शुरू की। बैठक में केंद्र की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना एवं अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की समीक्षा हुई। समीक्षा के दौरान सीएम ने प्रधानमंत्री फसल योजना तथा 2020 तक किसानों की आय दोगुनी करने के संबंध में अब तक हुई प्रगति के बारे में कुछ सवाल किए।

 

सूत्रों का कहना है कि बैठक में मौजूद किसी अफसर ने सीएम के सवालों का सार्थक जवाब नहीं दिया। अधिकारियों के इस रवैये से सीएम बेहद नाराज हुए।उन्होंने कृषि सचिव सेंथिल पांडियन और निदेशक गौरी शंकर को जमकर फटकार लगाई। उन्हें खुद को अपग्रेड रखने के साथ ही अधिकारियों के कामकाज पर पैनी नजर के निर्देश दिए। इतना कहकर सीएम बैठक छोड़कर चले गए। कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने उन्हें मनाने का पूरा प्रयास किया, पर वह नहीं माने। उन्होंने अधिकारियों को पूरी तरह से तैयारी करने और उसके बाद बैठक की तारीख निर्धारित करने को कहा है। बाद में कृषि मंत्री ने मीडिया को बताया कि अधिकारियों को पूरी तैयारी के साथ बैठक में आना चाहिए था।

 

पहले भी डांट खा चुके हैं पांडियन
करीब दो माह पूर्व विधानसभा में परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बैठक ली थी। इस बैठक में परिवहन सचिव सैंथिल पांडियन को भी पहुंचना था। बताया गया है कि मंत्री यशपाल आर्य इंतजार करते रह गए और पांडियन बैठक में नहीं आए। इसके बाद यशपाल आर्य ने फोन पर पांडियन की जमकर क्लास ली थी और मुख्य सचिव को फोन कर उनसे यह विभाग हटा लेने को कहा था। बताया जाता है कि एन 74 घोटाले की जांच के बाद से शासन और सरकार डी सैंथिल पांडियन से नाराज चल रहे हैं।


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