पिथौरागढ़ सामूहिक दुष्कर्म मामला: पुलिस लापरवाही पर न्यायालय सख्त, जल्द गिरफ्तारी के दिए निर्देश

punjabkesari.in Thursday, Apr 21, 2022 - 11:48 AM (IST)

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पिथौरागढ़ में 13 साल की नाबालिग लड़की के साथ हुए सामूहिक बलात्कार (गैंगरेप) के मामले में पिथौरागढ़ पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर करते हुए पुलिस अधीक्षक लोकेश्वर सिंह को आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी के साथ ही इस मामले की जांच की पैरवी करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अदालत ने पिथौरागढ़ के जिला प्रशासन को भी कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न इस प्रकरण को अपराध शाखा को सुपुर्द कर दिया जाए।

अदालत ने पीड़िता को 24 घंटे सुरक्षा उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा तथा न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ ने बुधवार को इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई की। पीड़िता के चाचा की ओर से रजिस्ट्रार जनरल को एक पत्र भेजकर आरोप लगाया गया कि उनकी भतीजी विगत एक मार्च को अपनी महिला मित्र के साथ मंदिर गई थी और वहां से युवकों ने उसे अगवा कर लिया। इसके बाद उसे 6 दिन तक अपने कब्जे में रखा और नशीले इंजेक्शन देकर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। पत्र में कहा गया है कि पुलिस अभी तक सिर्फ 4 आरोपियों को ही पकड़ पाई है, जबकि घटना में आठ-नौ से अधिक लोग शामिल रहे हैं।

आरोपी पीड़िता को अगवा कर उसके गांव से 15 से 20 किलोमीटर दूर ले गए और 6 दिनों तक उसे अलग-अलग स्थानों पर रखा गया। पत्र में उल्लेख है कि जिन चार आरोपियों को पकड़ा गया है, उनमें मुख्य आरोपी किशोर शर्मा निवासी बस्ते गांव, संजय कुमार निवासी गढ़कोट विषाण, नीरज कुमार तथा प्रकाश राम निवासी रावल गांव शामिल हैं, जबकि सौरभ, नीरज, मन्नू, शंकर तथा बग्गा शर्मा निवासी बस्ते गांव को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। आरोपी पीड़िता के परिवार को धमकी भी दे रहे हैं और मामला वापस लेकर समझौते करने का दबाव बना रहे हैं।

पत्र में आरोप लगाया गया है कि पुलिस मुख्य आरोपी किशोर शर्मा तथा बग्गा शर्मा (अवैध शराब का कारोबारी भी हैं) के दबाव में कार्रवाई करने से बच रही है और आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर रही है। यह भी आरोप लगाया गया कि किशोर शर्मा पर पुलिस ने छेड़छाड़ का मामला लगाया है और गिरफ्तार करने के अगले दिन छोड़ दिया। पत्र में यह भी कहा गया है कि जब गुमशुदा घटना के दिन शाम तक घर नहीं लौटी तो उसके चाचा ने जाजरदेवल थाना में अभियोग पंजीकृत करवाया, लेकिन पुलिस प्रभावशाली लोगों के दबाव में 6 दिन तक हाथ में हाथ धरे बैठी रही। जब ग्रामीणों ने आंदोलन की धमकी दी तब 6 दिन बाद पीड़िता को रावल गांव क्षेत्र से आरोपियों के कब्जे से मुक्त करवाया गया।

अदालत ने मामले को सुनने के बाद जांच अधिकारी को 2 बजे अदालत में तलब किया। जांच अधिकारी ने बताया कि 4 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी के खिलाफ धारा 363, 366ए, 376डी, 323 तथा 120बी के तहत अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है। नमूने फोरेंसिक जांच के लिए सीएफएल चंडीगढ़ भेजे गए हैं।


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Nitika

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