NH घोटाले के आरोपी विदेश भागे,लुकआउट नोटिस जारी

punjabkesari.in Wednesday, Jan 17, 2018 - 08:51 AM (IST)

देहरादून/ संजय झा। उत्तराखंड सरकार के लिए गले की फांस बने 300 करोड़ रुपयों के एनएच 74 घोटाले कई आरोपी विदेश भाग गए हैं। इसी आशंका से इस घोटाले कीजांच कर रही एसआईटी ने लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया है। साथ ही इंटरपोल की मदद भी लिए जाने की तैयारी चल रही है। इन आरोपियों को फरार होने का मौकाउस समय मिल गया, जब इसकी जांच सीबीआई औरएसआईटी से कराने के लिए केंद्र और राज्य सरकार केबीच खींचतान चल रही थी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावतघोटाले की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा कर चुकेथे और सरकार ने प्रस्ताव भी केंद्र को भेज दिया था। इसीबीच केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपनावीटो लगा दिया कि जांच सीबीआई से नहीं होगी। उनकातर्क था कि सीबीआई से जांच कराने से उत्तराखंड मेंसड़क निर्माण के कार्यों में गतिरोध पैदा हो जाएगा। इनआरोपियों के फरार होने की जानकारी को अभी तकदबाकर रखा गया है।

पंजाब केसरी को अपनी खास तहकीकात में पता चला हैकि कुल आठ आरोपी ऐसे हैं जो मूलत: पंजाब के रहनेवाले हैं। उत्तराखंड में उनके निवास पर ताले लटके हैं यावह निवास ही छोड़कर जा चुके हैं। जबकि पंजाब में भीउनकी लोकेशन ट्रेस नहीं हो पा रही है। इसीलिए जांच कररही एसआईटी को उनके विदेश भागने की आशंका है।ऊधमसिंह नगर के एसएसपी सदानंद दाते ने भी माना किआठ आरोपियों ने अपना वेश बदल लिया है और उनकीलोकेशन कहीं भी ट्रेस नहीं हो रही है। उनका कहना है किपुलिस इस बात का प्रयास कर रही है कि आरोपी विदेश नभाग पाएं। इसके लिए लुकआउट नोटिस जारी कर दियागया है। इसके बावजूद अगर कुछ लोग विदेश भागने मेंसफल हो चुके हैं, तो उनकी गिरफ्तारी के लिए इंटरपोलकी मदद ली जाएगी।

एनएच घोटाले की जांच कर रही एसआईटी अभी तकबारह आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमेंएसडीएम, पीसीएस अधिकारी, तहसील कर्मी और किसानभी शामिल हैं। यह सभी घोटाले के समय किसी न किसीपद पर ऊधमसिंह नगर में ही तैनात थे।

क्या है एनएच 74 घोटाला?
राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए रुद्रपुर में हरीश रावतके मुख्यमंत्रित्व काल में एनएच 74 में आने वाली भूमि कीप्रकृति बदलकर करोड़ों रुपये का मुआवजा गलत ढंग सेकई लोगों ने प्राप्त कर लिया था। वैसे इस घोटाले की नींवविजय बहुगुणा के मुख्यमंत्री रहते हुए पड़ चुकी थी। मामलेका खुलासा जनवरी 17 में तब हुआ था, जब प्रदेश मेंचुनाव की अधिसूचना जारी हो गई थी। तत्कालीन मुख्यसचिव के आदेश पर कुमायूं कमिश्नर डी सैंथिल पांडियन नेइसकी जांच की। 10 मार्च 2017 को कुमायूं कमिश्नर केशासनादेश पर अपर जिलाधिकारी प्रताप शाह ने थाना पंतनगर में एक मुकदमा दर्ज कराया। जिसमें धोखाधड़ी औरसरकारी धन के दोहन, आपराधिक षड्यंत्र सहित धारा167, 218, 219, 420, 409, 466 ,468, 471, 474, 120 बी, 34 लगाई गईं।

इसके बाद एसआईटी जांच शुरूहुई। एसआईटी ने कई उपजिलाधिकारियों, कर्मचारियों,किसानों के बयान दर्ज किये। बाद में पुलिस ने नवंबर2017 में निलंबित एसडीएम भगत सिंह फोनिया निवासीदेहरादून, निलंबित संग्रह अमीन अनिल कुमार निवासीजसपुर, तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार मदन मोहनपडलिया निवासी हल्द्वानी, रिटायर तहसीलदार जसपुरभोले लाल निवासी किच्छा, अनुसेवक तहसील जसपुररामसमुझ निवासी रुद्रपुर, स्टाम्प वेंडर जीशान निवासीकाशीपुर, किसान ओम प्रकाश निवासी जसपुर, किसानचरण सिंह जसपुर को गिरफ्तार किया। मुख्य आरोपी डीपीसिंह व एक अन्य बाद में गिरफ्तार हुए। पिछले रविवार कोदो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस काकहना है कि आरोपियों ने तत्कालीन एसएलएओ डीपीसिंह से मिलीभगत करके कूटरचित तरीके से नियमों कीअनदेखी कर बैक डेट में 143 एक्ट की कार्रवाई करआपराधिक साजिश कर नेशनल हाईवे 74 में आने वाली भूमि की प्रकृति बदलकर करोड़ों रुपए गलत मुआवजा प्राप्त किया।