मौसम का नहीं ठौर, समय से पहले आम गए बौर

punjabkesari.in Tuesday, Feb 06, 2018 - 06:28 PM (IST)

रुद्रप्रयाग/ ब्यूरो। मौसम में आ रहे बदलावों का असर पर्वतीय क्षेत्रों में भी दिखाई देने लगा है। उत्तराखंड में बसंत ऋतु में खिलने वाले कुछ प्रजाति के फूल समय से पहले खिल गए हैं। फ्यूली और अन्य प्रजाति के फूल भी जल्दी फूल गए। इस बार आम के पेड़ों पर बौर भी समय से पहले आने शुरू हो गए हैं। समुद्र तल से लगभग 670 मीटर ऊंचाई वाले रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय में लगे आम के पेड़ों पर बौर आ गये हैं।

1100 मीटर ऊंचाई वाले स्थानों पर भी आम के पेड़ों पर बौर आने लगे हैं। आम के पेड़ों पर बौर आने का समय आमतौर पर मार्च का प्रथम सप्ताह होता है। आम के पेड़ों पर असमय आने वाले बौर के बारे में पर्यावरणविदों का कहना है कि प्रकृति में होने वाले ऐसे परिवर्तनों की वजह ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण में लगातार बढ़ता प्रदूषण है।

जिले के कई क्षेत्रों में आम के पेड़ों पर बौर आने शुरू हो गए हैं, जबकि आम के पेड़ों पर बौर आने का समय आमतौर पर मार्च का प्रथम सप्ताह होता है। पिछले सालों की तुलना इस वर्ष मौसम में कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं। प्रकृति में कई तरह की विषमताएं देखने को मिल रही हैं। उच्च हिमालयों क्षेत्रों में इस बार वर्फबारी के आंकड़ों पर नजर डालें, तो विगत वर्षों की भांति इस साल बर्फबारी का ग्राफ नीचे गिरा है।

बर्फबारी न होने से तापमान बढ़ रहा है। पर्यावरण में लगातार देखने को मिल रही अनियमितताएं पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा संकेत नहीं माना जा सकता है। पर्यावरणविद विनोद डिमरी ने बताया कि किसी भी पेड़ की स्पाॅटिंग होने के लिए एक निश्चित तापमान की आवश्यकता होती है।

उनका मानना है कि लगातर बढ़ रहे प्रदूषण व तापमान के कारण जलवायु में ऐसी विसंगतियां सामने आ रही हैं। यदि यही स्थिति ज्यादा दिन तक बनी रही, तो पर्यावरण में लगातार चौंकाने वाले परिवर्तन दिखाई देते रहेंगे। वहीं जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि यदि प्रकृति में ऐसे परिवर्तन हो रहे हैं, तो यह एक गंभीर विषय है। इस विषय पर पर्यावरण वैज्ञानिकों को शोध करना चाहिए।