अपनी बेकद्री से निराश इस प्रदेश की महिला फुटबॉलरों का दूसरे राज्यों में पलायन

punjabkesari.in Sunday, Mar 18, 2018 - 03:02 PM (IST)

देहरादून/ब्यूरो। प्रदेश में भले ही फुटबॉल को राज्य खेल का दर्जा हासिल हो। आयोजन भी हो रहे हैं, लेकिन इस खेल में दमखम दिखाने वाली महिला फुटबॉलरों की कोई कद्र नहीं है। इनके लिए न तो आयोजन हो रहे हैं, न ही प्रोत्साहन मिल रहा है। मजबूरन फुटबॉल में कुछ कर दिखाने की चाह में महिला फुटबॉलरों को पलायन करना पड़ रहा है।

देश-विदेश में अपने खेल का जलवा बिखेरने वाली सूबे की, खासकर देहरादून की महिला फुटबॉलर प्रोत्साहन न मिलने से अन्य राज्यों की ओर से खेल रही हैं। एक ओर जहां दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, गोवा आदि जैसे राज्यों में महिला फुटबॉल को बढ़ावा दिया जा रहा है। वहीं, प्रदेश में एसोसिएशन सिर्फ नेशनल तक महिला फुटबॉल टीम भेजकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेती है। प्रदेश में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों को तराशने के लिए कई नर्सरियां खोली गई हैं, लेकिन इनमें से केवल एक ही लड़कियों के लिए है। अगस्त्यमुनि में बने बालिका एथलेटिक्स छात्रावास के अलावा अन्य खेलों में सरकार ने ऐसी कोई पहल नहीं की। स्थिति यह है कि महिला फुटबॉल में बालिकाओं की रुचि कम होने लगी है। 

दून की बात करें, तो विजय कैंट क्लब ने महिला फुटबॉल को बढ़ावा देने के प्रयास किए। इसके सुखद परिणाम भी सामने आए। धीरे-धीरे क्लब ने ऐसा करना बंद कर दिया। वर्तमान में न तो महिला फुटबॉलरों के लिए मैदान की व्यवस्था है और न ही प्रतियोगिताएं हो रही हैं। कुछ निजी स्कूल और एकेडमी जरूरी बालिका वर्ग में फुटबॉल प्रतियोगिताओं का आयोजन कर रहे हैं। लेकिन यह भी पर्याप्त नहीं है। राज्य फुटबॉल संघ किसी नेशनल से पहले चयन-ट्रायल आयोजित कर देता है। लेकिन नेशनल में तालमेल और प्रशिक्षण के अभाव में महिला फुटबॉल टीम का निराशाजनक प्रदर्शन रहता है। प्रदेश की अनीता रावत व रक्षा पंवार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं, लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में यह फुटबॉलर पलायन करने को मजबूर हुईं। 

रक्षा पंवार दिल्ली के ईवीईएस सॉकर क्लब से खेल रही हैं, तो अनीता पंवार इंडियन वुमेन फुटबॉल लीग में केरल की गोकुलम एफसी से दमखम दिखा रही हैं। वहीं राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी ज्योति गड़िवाल ग्रोइंग स्टार से खेल रही हैं। अनीता रावत का कहना है कि उत्तराखंड में महिला फुटबॉल को कोई पूछ नहीं रहा है। जब टीम भेजनी होती है, तो खिलाड़ियों को एकत्र किया जाता है। उसके बाद कोई पूछता नहीं है। अन्य राज्यों में अच्छा रिस्पांस मिल रहा है, तो क्यों नहीं वहीं से खेला जाए। रक्षा पंवार का कहना है कि दिल्ली, मुंबई सहित अन्य राज्यों में महिला फुटबॉलरों को अपनी प्रतिभा दिखाने के बेहतर मौके मिल रहे हैं। उत्तराखंड में राज्य स्तर तो दूर जिला स्तर की प्रतियोगिता भी नहीं होती। प्रोफेशनल फुटबॉल खेलने के लिए अन्य राज्य उत्तराखंड से बेहतर हैं।

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