उत्तराखंड:खनन पट्टों की ई- नीलामी में सरकार को झटका

punjabkesari.in Friday, Jan 19, 2018 - 05:09 PM (IST)

देहरादून/ब्यूरो। सरकार ने पांच जनपदों के 99 पट्टों की ई-नीलामी के लिये निविदा आमंत्रित की लेकिन इनमें से अधिकांश के लिये न्यूनतम तीन निविदायें भी नहीं आयीं। खनन पट्टों की ई-नीलामी करने की सरकार की मंशा को झटका लगा है। न्यूनतम निविदाओं के न आना खनन माफियाओं के चाल की संभावना जताई जा रही है। हैरानी की बात है कि इस कारोबार में वर्चस्व स्थापित करने को लेकर कारोबारियों के बीच गोलियां तक चल जाती थीं, उसके खनन पट्टों की ई-नीलामी में अचानक उनकी दिलचस्पी कम क्यों हो गई।

बताते चलें कि उत्तराखण्ड में खनन कारोबार से सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है। लेकिन पारदर्शिता की कमी व माफिया के हस्तक्षेप से यह कारोबार अवैध तरीके से होने लगा है, जिससे सरकार को उतना राजस्व नहीं मिल पाता कि जितना मिलना चाहिये। खनन के अवैध कारोबार पर अंकुश लगाने के लिये त्रिवेन्द्र सरकार ने अक्टूबर में उप खनिज परिहार संशोधन नियमावली पर अपनी मुहर लगाई।

संशोधित नियमावली में प्रावधान रखा गया कि प्रदेश में सरकारी, अद्र्धसरकारी के साथ ही निजी पट्टों को ई-नीलामी के जरिये आवंटित किया जाएगा। इसी क्रम में हाल ही में सरकार ने पांच जिलों के 99 पट्टों की ई-नीलामी के लिये निविदायें आमंत्रित कीं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से इनमें से 59 पट्टों के लिये न्यूनतम तीन निविदायें भी सरकार को नहीं मिलीं।अब विभाग इन 59 पट्टों के लिये नये सिरे से निविदायें आमंत्रित करने की मैयारी कर रहा है। 

दो चरणों में होगी नीलामी

 इस नियमावली के तहत खनन की नीलामी दो चरणों में होनी है। पहले खनन के छोटे लॉट बनाए जाएंगे। इसके बाद यह आकलन किया जाएगा कि इनमें कितना खनिज मौजूद हैं।

इसके बाद निश्चित खनिज का मानक बनाकर यह देखा जाएगा कि कौन यहां से कौन कितना खनन कर सकता है।आवेदक की ओर से बताए गए सबसे अधिक खनिज को बेस प्राइज माना जाएगा। इसके बाद सबसे अधिक खनिज बताने वाले पांच आवेदकों को लेकर ऑनलाइन टेंडरिंग की जाएगी।नियमावली में की गई व्यवस्था के अनुसार एक व्यक्ति अधिकतम 400 हेक्टेयर अथवा पांच पट्टों पर ही खनन कर सकेगा।

विनय शंकर पाण्डेय (निदेशक खनन विभाग)का कहना है कि नई प्रक्रिया को धरातल पर उतारने में थोड़ा समय लगता है। ई-टेंडरिंग में कई बार ऐसा हो जाता है कि किसी काम के लिये न्यूनतम निविदा भी न मिले। जिन मामलों में ऐसा हुआ है, उनमें दुबारा निविदायें आमंत्रित की जायेंगी।