उत्तराखंड सरकार ने 4 बड़े मंदिरों को हटाने के लिए मांगा महाकुुंभ तक का समय

punjabkesari.in Monday, Sep 14, 2020 - 10:42 AM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड में सार्वजनिक स्थलों पर निर्मित्त सभी अवैध धार्मिक संरचनाओं को हटा लिया गया है जबकि हरिद्वार में सरकारी भूमि पर निर्मित्त 4 बड़े मंदिरों को नहीं हटाया जा सका है। सरकार ने चारों अखाड़ों को हटाने के लिए उच्च न्यायालय में कानून व्यवस्था की स्थिति का हवाला देते हुए महाकुंभ तक का समय मांगा है।

राज्य सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया है कि हरिद्वार जिले को छोड़कर देहरादून, नैनीताल, उत्तरकाषी, चंपावत, टिहरी, अल्मोड़ा, चमोली, पौड़ी, बागेश्वर, रूद्रप्रयाग, पिथौरागढ़ व ऊधमसिंह नगर जिलों में सन् 2009 के बाद सार्वजनिक स्थलों, रास्तों एवं पार्क में अवैध रूप से निर्मित्त सभी अवैध धार्मिक स्थलों को हटा लिया गया है। ऊधमसिंह नगर जिले में एक गुरूद्वारा को अदालत में मामला लंबित होने के चलते नहीं हटाया जा सका है। हरिद्वार जिले के संबंध में अदालत में पेश अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि जिले में कुल 40 अवैध धार्मिक स्थल चिन्हित किए गए थे और जिला प्रशासन की ओर से 36 स्थलों को हटा लिया गया है। ये सभी सिंचाई विभाग व लोक निर्माण विभाग की भूमि पर अवैध ढंग से निर्मित्त थे। इनमें से 23 सिंचाई विभाग की भूमि पर बनाए गए थे और जिनमें से 19 को तोड़ दिया गया है। लोक निर्माण विभाग की भूमि पर निर्मित्त 5 मंदिरों को भी तोड़ दिया गया है।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश की ओर से पेश अनुपालन रिपोर्ट में कहा गया है कि हरिद्वार जनपद में जिन 4 बड़े धार्मिक स्थलों को नहीं हटाया जा सका है वे हैं महंत राजेन्द्र दास निर्मोही अखाड़ा, निर्माणी आदि अखाड़ा, भैयादास दिगंबर अखाड़ा व निरंजनी अखाड़ा। ये सिंचाई विभाग की भूमि पर वैरागी कैम्प में निर्मित्त हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निर्मोही अखाड़ा 182.25 वर्गमीटर, निर्माणी अखाड़ा 273 वर्गमीटर, दिगंबर अखाड़ा 16.81 व निरंजनी अखाड़ा 37.44 वर्गमीटर भूमि में निर्मित्त हैं। ये सभी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नियंत्रण में हैं और इनको हटाने से कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। 3 महीने बाद हिन्दुओं का महापर्व महाकुंभ शुरू हो रहा है और सभी अखाड़ा इसमें महत्वपूर्ण तरीके से भाग लेते हैं। सरकार की ओर से आगे कहा गया है कि वर्तमान में कोरोना महामारी का दौर चल रहा है और इनको हटाने से जनता में विरोध शुरू हो सकता है और भीड़ के एकत्र होने से महामारी पर नियंत्रण पाना असंभव होगा। सरकार की ओर से महाकुंभ को देखते हुए इन्हें हटाने के लिए 31 मई 2021 तक का समय उच्च न्यायालय से मांगा गया है।

बता दें कि उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गत 4 मार्च को सरकार को निर्देश दिए थे कि राज्य में सन् 2009 के बाद सार्वजनिक स्थलों पर अवैध ढंग से बनाए गए सभी धार्मिक संरचनाओं को 23 मार्च 2020 तक हटाएं और इसकी अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करें। इसी क्रम में सरकार की ओर से यह रिपोर्ट हाल अदालत में पेश की गई है।


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Nitika

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