HC ने वकीलों की हड़ताल और कार्य बहिष्कार को बताया गैर कानूनी, कार्रवाई करने की दी चेतावनी

punjabkesari.in Thursday, Sep 26, 2019 - 03:47 PM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने बुधवार को अपने महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य में अधिवक्ताओं की हड़ताल और कार्य बहिष्कार को गैर कानूनी करार दिया। इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि अधिवक्ता हड़ताल तथा कार्य बहिष्कार जारी रखते हैं तो राज्य बार काउंसिल उनके खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाएगी।

अधिवक्ता डॉ. कार्तिकेय हरि गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि देहरादून निवासी ईश्वर शांडिल्य द्वारा 2016 में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया। याचिकाकर्ता की ओर से जनहित याचिका में कहा गया कि उत्तराखंड राज्य के गठन से पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय की एक शाखा के गठन के लिए देहरादून जिला मुख्यालय के अधिवक्ता प्रत्येक शनिवार को कार्य बहिष्कार करते रहे हैं। कार्य बहिष्कार उत्तराखंड बनने के बाद भी जारी रहा और पिछले 35 सालों से यह परंपरा बन गई और अनौपचारिक अवकाश के रूप में मनाया जाने लगा। इससे पीड़ितों को न्याय पाने के अधिकार को धक्का लगा है। वहीं अधिवक्ता ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन तथा न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने देहरादून, हरिद्वार तथा ऊधमसिंह नगर बार एसोसिएशनों को भी निर्देश दिया कि वह शनिवार को होने वाली हड़ताल तथा कार्य बहिष्कार को वापस लें और सभी कामकाजी दिनों में अदालतों में सामान्य रूप से उपस्थित हों।

गुप्ता ने बताया कि उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि अधिवक्ताओं द्वारा किये जाने वाली हड़ताल व कार्य बहिष्कार अवैध है और यह कदाचार की श्रेणी में आता है। जिसके लिए राज्य बार काउंसिल की अनुशासनात्मक समिति द्वारा अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने निर्णय में आगे कहा है कि हड़ताल अदालत की अवमानना है और ऐसे बार एसोसिएशन के ऐसे पदाधिकारी जिन्होंने हड़ताल का आह्वान किया है वे अदालत की अवमानना के लिए उत्तरदायी होंगे। उन्होंने कहा कि न्यायालय स्पष्ट कहा कि हड़ताल तथा कार्य बहिष्कार का संकल्प लेना अदालत की अवमानना है। गुप्ता ने यह भी कहा कि अदालत ने अपने निर्णय में यह भी कहा है कि कोई बार एसोसिएशन या अधिवक्ता परिवार की संवेदनाओं के चलते अदालती कार्य से नहीं हटेंगे। उन्होंने आगे कहा कि अदालत ने यह भी फैसला दिया है कि यदि अधिवक्ता शनिवार को अदालतों में उपस्थित नहीं होते हैं तो संबंधित जिला न्यायाधीश उनके खिलाफ कार्रवाई पर विचार करने के लिए अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपेंगे। गुप्ता ने आगे बताया कि अदालत ने देहरादून बार काउंसिल को निर्देश दिया कि वे अवैध हड़ताल के जिम्मेदार देहरादून, हरिद्वार तथा ऊधमसिंह नगर जिले के बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के खिलाफ 4 सप्ताह में अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाएं। इसके साथ ही गुप्ता ने बताया कि अदालत ने जिला न्यायाधीशों को भी निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि शनिवार को अदालतों में न्यायिक कार्य समुचित तरीके से हो।

गुप्ता ने यह भी बताया कि अदालत ने जोर देकर कहा है कि अदालतें न्याय प्रदान करने के लिए होती हैं और न्यायिक अधिकारी इसके लिए कटिबद्ध होते हैं। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि यदि न्यायिक अधिकारी अधिवक्ताओं द्वारा की जा रही हड़ताल या कार्य बहिष्कार पर आंखे मूंद लेते हैं तो ऐसे न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए वारंट जारी किया जा सकता है। गुप्ता ने कहा कि यदि न्यायिक अधिकारी इस बात से संतुष्ट है कि अधिवक्ता हड़ताल और कार्य बहिष्कार के चलते अनुपस्थित है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।


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Nitika

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