कोरोनाः उत्तराखंड HC ने राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए ''नींद से जागने'' को कहा

punjabkesari.in Tuesday, May 11, 2021 - 12:22 PM (IST)

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना की दूसरी लहर से ‘निपटने के लिए तैयारी न होने' तथा संक्रमण में भारी वृद्धि के बावजूद ‘धार्मिक मेलों के आयोजन जारी रखने' को लेकर राज्य सरकार की जमकर खिंचाई करते हुए उससे 'नींद से जागने' को कहा।

उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान तथा न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ ने स्थिति से निपटने के लिए राज्य सरकार की तैयारी पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘‘हम उस कहावती शुतुरमुर्ग की तरह व्यवहार नहीं कर सकते और महामारी को सामने देखकर रेत में सिर नहीं छुपा सकते।'' कोर्ट ने पूछा कि महामारी को आए एक साल से ज्यादा समय होने के बावजूद राज्य अभी तक वायरस से लड़ने के लिए तैयार क्यों नहीं है। राज्य सरकार को वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में अपने सभी संसाधनों को झोंकने के निर्देश देते हुए उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हम एक अदृश्य दुश्मन से विश्वयुद्ध लड़ रहे हैं और हमें अपने सभी संसाधन लगा देने चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत अपने नागरिकों का जीवन सुरक्षित रखना राज्य का पहला दायित्व है। सरकार को इसमें अपनी पूरी शक्ति लगा देनी चाहिए।''

अदालत ने चारधाम यात्रा पर संशय को लेकर भी राज्य सरकार की खिंचाई की और पूछा कि क्या तीर्थयात्रा को कोरोना हॉटबेड बनने की अनुमति दी जाएगी। न्यायालय ने कहा कि सरकार कहती है कि यात्रा निरस्त हो गई है लेकिन मंदिरों का प्रबंधन देखने वाले बोर्ड ने यात्रा के लिए एसओपी जारी कर दी हैं। अदालत ने पूछा, ‘‘ हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि इन एसओपी का पालन किया जाएगा जबकि कुंभ मेला के दौरान उनका उल्लंघन हुआ था।'' अदालत ने यह भी कहा कि अभी राज्य कुंभ मेला के प्रभाव से लड़खड़ा रहा है लेकिन पूर्णागिरी मेले का आयोजन कर फिर दस हजार लोगों की भीड़ को आमंत्रित कर लिया गया।

अदालत ने सवाल उठाया कि क्या कुमाऊं क्षेत्र में कोरोना मामलों में हुई वृद्धि इस मेले के आयोजन का परिणाम है। स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी द्वारा पिछले कुछ माह में ऑक्सीजन और आइसीयू बिस्तरों जैसी सुविधाओं को मजबूत करने के बारे में पेश की गयी विस्तृत रिपोर्ट पर अदालत ने कहा कि तीसरी लहर तो छोड़िए, यह दूसरी लहर से लड़ने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। स्वास्थ्य सुविधाओं के संबंध में राज्य सरकार केआंकडों पर असंतोष व्यक्त करते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि दूसरी लहर का शिखर अभी आने वाला है और ये तैयारियां पर्याप्त नहीं है। अदालत ने यह भी कहा कि वैज्ञानिक समुदाय द्वारा दूसरी लहर के बारे में बताए गए पूर्वानुमानों की अनदेखी की गई। अदालत ने कहा कि अब तीसरी लहर का पूर्वानुमान जताया जा रहा है जो बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करेगा। उसने कहा कि इससे उबरने के लिए सरकार और लोगों को मिलकर लड़ना होगा। इस संबंध में अदालत ने सरकार को खासकर हरिद्वार जैसे अधिक संक्रमण वाले क्षेत्रों में जांच प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाने, दूरस्थ क्षेत्रों में मोबाइल जांच वैन भेजने के निर्देश दिए।

अदालत ने कहा कि इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया को छोड़ सकती है। करीब 27 फीसदी कोरोना मामलों के पहाड़ी इलाकों में दर्ज होने तथा कई मामलों के सामने नहीं आ पाने की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अदालत ने कहा कि सरकार को ऐसे मरीजों से हद से ज्यादा फीस वसूल रहे निजी अस्पतालों पर कार्रवाई करनी चाहिए। उसने सरकार को इन कार्रवाइयों के बारे में अदालत को बताने को भी कह। अदालत ने दवाइयों की कालाबाजारी कर रहे लोगों पर भी सख्त कार्रवाई करने को कहा। अदालत ने सरकार को सुनवाई के दौरान उठे सवालों के बारे में पूरक हलफनामा भी दाखिल करने को कहा है। अगली सुनवाई की तारीख 20 मई को होगी और स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी भी मौजूद रहेंगे।
 

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Nitika