हाथी कॉरिडोरों पर अतिक्रमण के मामले में नैनीताल HC गंभीर, वन्यजीव संरक्षक से मांगा जवाब

punjabkesari.in Friday, Oct 11, 2019 - 02:49 PM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड में नैनीताल हाईकोर्ट ने हाथी कोरिडोर में अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका को गंभीरता से लिया। इसके साथ ही मुख्य वन्यजीव सरंक्षक, कार्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक एवं प्रभागीय वनाधिकारी रामनगर से जवाब पेश करने को कहा है।

जानकारी के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ ने आक्रामक हाथियों को राष्ट्रीय राजमार्ग से दूर रखने के लिए मिर्च, फायरिंग एवं पटाखों का इस्तेमाल करने के मामले में भी जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट ने इसे पशुक्रूरता मानते हुए पूछा है कि इसकी अनुमति किसने दी है। वहीं मामले को दिल्ली की संस्था इंनडिपेंडेंट मेडिकल इंनटिवेट सोसाइटी की ओर से जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है।

जनहित याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड में मौजूद 11 हाथी कारिडोरों में अतिक्रमण कर इनका व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है। आगे कहा गया है कि इनमें से 3 हाथी कारिडोर कॉर्बेट पार्क के मोहान सीमा से सटे हुए हैं। कार्बेट पार्क से सटे ढिकुली में पड़ने वाले हाथी कारिडोर में 150 से अधिक व्यवसायिक निर्माण कर दिए गए हैं जिसके कारण कोरिडोर बंद हो चुका है। मोहान क्षेत्र में स्थित हाथी कोरिडोर भी अतिक्रमण से प्रभावित हुआ है। अतिक्रमण होने और रात में वाहनों की आवाजाही से हाथियों को कोसी नदी तक पहुंचने में दिक्कत होती है। इन व्यावसायिक भवनों को शादियों और अन्य उपयोग में लाया जा रहा है। यहां होने वाली पाटिर्यों में उच्च क्षमता के ध्वनि यंत्रों के प्रयोग से वन्यजीवों के जीवन में खलल पड़ रहा है।

बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि वन विभाग द्वारा मानव दखलंदाजी रोकने के बजाय हाथियों को राजमार्गों में आने से रोकने के लिए मिर्च पाउडर और पटाखोंं का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे वन्यजीवों खासकर हाथियों के व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है और वह हिंसक होते जा रहे हैं। आगे कहा गया है कि पिछले एक साल में हाथियों की हमले की 20 से अधिक घटनाएंं हो चुकी हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।


 


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Nitika

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