रुद्रप्रयाग में सड़क डामरीकरण के नाम पर हो रहा करोड़ों का खेल, ऐसे हुआ खुलासा

punjabkesari.in Sunday, Mar 11, 2018 - 01:45 PM (IST)

उत्तराखंड/ब्यूरो। सरकारी धन का विभागीय अधिकारी, कर्मचारी और ठेकेदार मिलकर किस तरह बंदरबाट करते हैं, इसकी बानगी रुद्रप्रयाग जिले के मयाली-पांजपा-गुप्तकाशी मोटर मार्ग के डामरीकरण से मिल जाती है। विभागीय अधिकारी और ठेकेदार मिलकर सरकार को तो नुकसान पहुंचाते ही हैं, उनके द्वारा बनाई गई सड़कें कुछ ही महीनों में टूट-फूट जाती हैं जिसके कारण लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उत्तराखंड में लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़कों का हाल देख लीजिए। इनके निर्माण में हुए घपले-घोटालों का पता चल जाएगा। कुछ सड़कें तो एक साल भी पूरा नहीं कर पाती हैं। इन पर बड़े-बड़े गड्ढे बन जाते हैं।

वर्ष 2013 की विनाशकारी केदारनाथ आपदा के दौरान जब रुद्रप्रयाग गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग  का ज्यादातर हिसस्सा पूरी तरह से मंदाकिनी नदी की भीषण लहरों से नेस्तनाबूत हो गया था। तब केदारनाथ और उसके निचले इलाकों में फंसे हजारों देशी-विदेशी तीर्थ यात्रियों को मयाली-पांजणा-गुप्तकाशी मोटर मार्ग के जरिए ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया था। राहत और बचाव कार्य इसी मार्ग से सम्पादित हुए थे। हालांकि, तब भी इस सड़क की स्थिति कोई अच्छी नहीं थी। आपदा के समय फंसे तीर्थ यात्रियों के लिए जीवन रेखा साबित हुए इस सड़क की तब अधिकारियों का ध्यान गया था। अधिकारियों ने इस जीवनदायनी सड़क को ठीक करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए। इसके बावजूद सड़क की हालत नहीं सुधरी। लोक निर्माण विभाग की लापरवाही के चलते इस मोटरमार्ग की स्थिति आज भी दयनीय है। सड़क की दशा सुधारने के नाम पर इन दिनों लोक निर्माण विभाग गुणवत्ता को ताक पर रखकर डामरीकरण करा रहा है। लोक निर्माण विभाग और डेकेदार की मिलीभगत और धन के बंदरबाट की वजह से मोटरमार्ग का घटिया डामरीकरण किया जा रहा है। धीमी गति और गुणवत्ता विहीन कार्य को देख कर यह बात पता लग जाती है कि अधिकारी और ठेकेदार मिलकर क्या खेल कर रहे हैं। इस मार्ग पर एक तरफ से डामरीकरण हो रहा, तो दूसरी तरफ से वह उखड़ता जा रहा है।

हालांकि, जब लोक निर्माण विभाग को पता चला कि इस मोटरमार्ग पर हो रहे घटिया निर्माण कार्य की खबर मीडिया को लग गई, तो विभागीय अधिकारियं ने आनन-फानन सड़क का दोबारा डामरीकरण कर दिया। हालांकि, लोनिवि के अधिशासी अभियंता इन्द्रजीत बोस ने कहा कि घटिया डामरीकरण की शिकायत मिलते ही उन्होंने संबंधित जेई को निर्देशित कर दिया है। वहीं जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने कहा कि इस मामले में जल्दी ही संबंधितअधिकारी की उपस्थिति में स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा।

केदारनाथ में आई आपदा के पांच वर्षों के बाद इस मोटरमार्ग को बनाने और सुधारने में करोड़ों रुपये खर्च हो गए हैं, लेकिन मार्ग की स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है। सड़क पर जगह-जगह बने गड्डे दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे हैं। जिस तरह से विभाग हर साल इस पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहा है, उससे यही लगता है कि विभाग अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए यह मोटरमार्ग दुधारू गाय साबित हो रही है।