चारधाम यात्रा में श्रद्धालुओं की मौतों की बढ़ती संख्या बनी चिंता का कारण

punjabkesari.in Friday, May 27, 2022 - 05:54 PM (IST)

 

देहरादूनः कोविड-19 के कारण दो साल बाधित रहने के बाद इस बार पूरी तरह से शुरू हुई चारधाम यात्रा के शुरुआती माह में ही 78 श्रद्धालुओं की मौत होने से अधिकारी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ दोनों चिंतित हैं। उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चारधाम- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री, के रास्ते में ह्रदय संबंधी समस्याओं के कारण श्रद्धालुओं की मौत की घटनाएं हर साल होती हैं, लेकिन इस बार यह संख्या कहीं ज्यादा है।

अक्षय तृतीया पर 3 मई को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने के साथ चारधाम यात्रा शुरू हुई थी जबकि केदारनाथ के कपाट 6 मई को और बद्रीनाथ के कपाट 8 मई को खुले थे। पिछले सालों के आंकड़ों से स्पष्ट है कि वर्ष 2019 में 90 से ज्यादा, 2018 में 102, 2017 में 112 चारधाम तीर्थयात्रियों की मृत्यु हुई थी। गौरतलब है कि ये आंकड़े अप्रैल-मई में यात्रा शुरू होने से लेकर अक्टूबर-नवंबर में उसके बंद होने तक यानी 6 माह की अवधि के हैं। केदारनाथ में निशुल्क चिकित्सा ​सुविधाएं उपलब्ध करवा रही सिग्मा हेल्थकेयर के प्रमुख प्रदीप भारद्वाज ने श्रद्धालुओं की मौत में बढ़ोत्तरी के कई कारण बताए, जिनमें तीर्थयात्रियों के लिए जलवायु के अनुकूल ढलने की प्रक्रिया की कमी, ज्यादातर लोगों की कोविड के कारण क्षीण शरीर प्रतिरोधक क्षमता, उच्च हिमालयी क्षेत्र में अनिश्चित मौसम और तीर्थयात्रियों की भारी भीड को देखते हुए अपर्याप्त इंतजाम शामिल हैं।

खुद एक प्रशिक्षित चिकित्सक भारद्वाज ने कहा कि चारधाम में आने वाले ज्यादातर श्रद्धालु दस हजार फीट से अधिक उंचाई वाली जगहों के आदी नहीं होते इसलिए रास्ते में कई उंचाई वाले स्थानों पर उन्हें रोका जाना चाहिए, जिससे वे उसके अनुकूल खुद को ढाल सकें। उन्होंने कहा कि कई श्रद्धालु अपने साथ सही प्रकार के कपडे भी नहीं लाते क्योंकि उन्हें उच्च पहाड़ी क्षेत्रों में भीषण ठंड की मौसमी दशाओं का पता ही नहीं होता। उन्होंने कहा, ' हमने देखा कि केदारनाथ के रास्ते में मरने वाले कई तीर्थयात्रियों की मौत हाइपोथर्मिया यानी अत्यधिक ठंड के कारण शरीर का तापमान कम होने से हुई।' भारद्वाज ने कहा कि केदारनाथ में दोपहर के बाद अक्सर मौसम खराब हो जाता है और खिली हुई धूप में अचानक कहीं से बादल आ जाते हैं और बारिश भी हो जाती है। उन्होंने कहा कि केदारनाथ में 3 किलोमीटर के दायरे में बारिश से बचने के लिए कोई शेड नहीं है और श्रद्धालु पानी में भीगने के बाद अक्सर हाइपोथर्मिया से बीमार हो जाते हैं। चारधामों में से केदारनाथ में अब तक सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं, जहां 41 तीर्थयात्रियों की जान चली गई। उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की मौतों की संख्या बढ़ने का एक कारण उनका कोविड इतिहास भी है। मंदिरों के लिए कठिन पैदल रास्ते पर चलने से पहले यात्रियों के लिए स्वास्थ्य जांच जरूरी है।

भारद्वाज ने केदारनाथ के रास्ते में ज्यादा सामुदायिक रसोइघरों की जरूरत भी बताई। उन्होंने कहा कि 10 हजार की जगह 50 हजार श्रद्धालु आ रहे हैं और उनके लिए केवल 3 सामुदायिक किचन ही हैं। इस संबंध में केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि तीर्थयात्री राज्य सरकार द्ववारा इस संबंध मे जारी किए गए परामर्श को अनदेखा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार हिमालयी धामों में श्रद्धालुओं की आमद उनकी क्षमता से कहीं अधिक है, जिससे उन्हें असुविधाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कोविड इतिहास या कोविड से ठीक होने के बाद भी समस्याएं जारी रहने की दशा में हिमालयी धामों की यात्रा न करने की सरकार की सलाह को दरकिनार करते हुए श्रद्धालु आ रहे हैं और यही उनके लिए खासतौर से बुजुर्गों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है।
 


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Nitika

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