साल 2010 के कुंभ हादसे में मारे गए लोगों को 9 साल बाद भी नहीं मिल पाया इंसाफ

punjabkesari.in Thursday, Nov 21, 2019 - 04:43 PM (IST)

हरिद्वारः उत्तराखंड की धर्मनगरी हरिद्वार में आयोजित होने वाले आगामी 2021 के महाकुंभ को लेकर तैयारियों शुरू हो गई हैं लेकिन साल 2010 के कुंभ के मुख्य स्नान पर्व पर यहां एक अखाड़े के नामी संत की गाड़ी से कुचल कर मारे गए लोगों को 9 साल बाद भी इंसाफ नहीं मिल पाया है। सूचना के अधिकार के अन्तर्गत मांगी गई सूचना से इसका खुलासा हुआ है।

हरिद्वार में 2021 में आयोजित होने वाले महाकुंभ को लेकर मेला एवं पुलिस प्रशासन कितना संवेदनशील है इसका पता इस बात से चलता है है कि पिछले कुंभ और अर्द्धकुंभ के संबंध में सूचना के अधिकार के अन्तर्गत मांगी गई सूचनाओं का उनके पास संतोषजनक जवाब नहीं है। सूचना के अन्तर्गत मांगी गई थी कि 2010 के महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटनाओं के संबंध में दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई हुई और पुलिस जांच में किसे दोषी ठहराया गया है। इसमें जांच आख्या भी मांगी गई थी।

वहीं कुंभ में हुई लापरवाही और भीड़ पर जीप चढ़ाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध 9 साल बाद भी पुलिस न तो ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई ठोस रिपोर्ट बना पाई है और न ही भीड़ में जीप ले जाने वाले साधु संतों के खिलाफ ही कोई आरोप पत्र दाखिल कर पाई है।

गौरतलब है कि 2010 के महाकुंभ में हरिद्वार के ललतारौ पुल के पास मुख्य स्नान पर्व पर संतों का काफिला पुलिस के 3 चक्रीय घेरे को तोड़ता हुआ भीड़ में जा घुसा था। महामण्डलेश्वर पायलट बाबा के काफिले की जीप ने भीड़ में चढ़ गई। इन्हीं वाहनों में पायलट बाबा भी सवार थे। इस घटना के बाद भगदड़ मच गई और कई लोग भीड़ में दबकर मर गए। इस भगदड़ में पुल की रेलिंग भी टूट गई और कई लोग गंगा में गिर गए।

बता दें कि पुलिस एवं मेला प्रशासन ने उस समय घटना के लिए महामण्डलेश्वर पायलट बाबा द्वारा बिना अनुमति के यातायात योजना का उल्लंघन कर भीड़ में काफीला ले जाने को आरोप लगाया था। तत्कालीन मुख्यंमत्री ने इस मामले की न्याययिक जांच का भी ऐलान किया था। हरिद्वार नागरिक मंच ने इस मामले की जांच कर दोषी लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।


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Nitika

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