धारी देवी मंदिर को हटाने के कारण आई थी केदारनाथ आपदा, पर्यावरणीय विज्ञान ने किया दावा

punjabkesari.in Wednesday, May 27, 2020 - 02:21 PM (IST)

 

देहरादूनः उत्तराखंड में 7 साल बाद एक बार फिर केदारनाथ में आई विनाशकारी तबाही को लेकर कुछ तथ्य सामने आए हैं। पर्यावरणीय विज्ञान वेत्ता ने दावा करते हुए कहा कि केदारनाथ में विनाशकारी तबाही का कारण धारी देवी मंदिर को उसके मूल स्थान से हटाना है। वह वैज्ञानिक तथ्यों के साथ अपने इस दावे को लेकर कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं।

चेयरमैन ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र
सेंटर फॉर साइंस एंड इंडियन फिलासफी के चेयरमैन प्रभु नारायण ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को चिट्ठी लिखी है। प्रभु नारायण केन्या सरकार के डिजास्टर मैनेजमेंट सलाहकार भी हैं। उन्होंने पत्र में कहा है कि सही वैज्ञानिक जानकारी और धारी देवी शक्तिपीठ के बारे में पूरी जानकारी जुटाए बिना ही उसे मूल स्थान से विस्थापित किया गया, जो केदारनाथ में विनाशकारी तबाही का कारण बना। यह एक बहुत बड़ा अपराध है।

प्रभु नारायण ने की मुकदमा दर्ज करने की मांग
प्रभु नारायण ने इसके लिए अलकनंदा हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड पर आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की है। साथ ही अन्य अधिकारियों को भी दंडित करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने कई वैज्ञानिक दावे किए हैं। उनका कहना है कि धारी देवी शक्ति पीठ ने हिमालय के केदारखंड क्षेत्र में प्रलय को दिखाया था।

16 जून 2013 को हटाई गई थी धारी देवी की प्रतिमा
बता दें कि श्रीनगर के पास स्थित धारी देवी की प्रतिमा को अलकनंदा नदी से हटा दिया गया था। 16 जून 2013 को प्राचीन मंदिर से प्रतिमा हटाई गई थी। उसके कुछ ही घंटे बाद केदारनाथ जैसी भीषण आपदा सामने आई थी। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए थे।

Nitika