कल भैयादूज के मौके पर विधि-विधान के साथ केदारनाथ धाम के कपाट होंगे बंद

punjabkesari.in Thursday, Nov 08, 2018 - 04:25 PM (IST)

रुद्रप्रयागः ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग भगवान केदारनाथ के कपाट शुक्रवार को भैयादूज के मौके पर बंद हो रहे हैं। इसी के चलते कपाट बन्द होने की वैदिक परंपराएं शुरु हो गई हैं। 

जानकारी के अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने जा रहे हैं। इसी के चलते मंदिर समिति तैयारियों में जुट गई है। इसके साथ ही मंदिर को भव्य रुप से सजाया गया है। बाबा के कपाट 9 नवम्बर को सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर बंद कर दिए जाएंगे। वैदिक पूजाओं के साथ ही बाबा की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली को सभा मण्डप में स्थापित कर दिया गया है। इसके बाद अगले 6 महीनों तक बाबा केदार ऊखीमठ में दर्शन देंगे।

वहीं गुरुवार रात्रि 3 बजे से कपाट बन्द होने की प्रक्रियाएं शुरु हो जाएंगी। इसके बाद 4 बजे से 5 बजे तक समाधि पूजा होगी। इस दौरान बाबा को 6 महीने के लिए समाविष्ट किया जाएगा और सुबह 6 बजे मंदिर के गर्भ गृह के कपाट बन्द कर दिए जाएंगे। 9 नवम्बर को सुबह बाबा की चल विग्रह डोली को सूर्य की पहली किरण के साथ ही सभा मण्डप से बाहर निकाला जाएगा और 8 बजकर 30 मिनट पर मंदिर के कपाट बन्द कर दिए जाएंगे। डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखीमठ पहुंचने से पहले पहली रात्रि रामपुर, दूसरी रात्रि गुप्तकाशी में विश्राम करेगी। इसके बाद 11 नवम्बर को ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी जहां अगले 6 महीने तक बाबा की नित्य पूजाएं होंगी।

बता दें कि इससे पहले केदारनाथ के कोतवाल कहे जाने वाले रक्षपाल बाबा भकुण्ड भैरव के कपाट 6 नवम्बर को बन्द कर दिए गए थे। ऐसा माना जाता है कि जब बाबा भैरव नाथ के कपाट बन्द हो जाते हैं तो केदारनाथ भगवान की श्रृंगार पूजा नहीं होती है और महज निर्वाण रुप में ही अभिषेक होता है। बाबा केदार के कपाट बन्द होने के बाद अगले 6 महीनों तक केदारपुरी की रक्षा बाबा भकुण्ड भैरव ही करते हैं और शीतकाल में छह माह तक जलने वाली अखण्ड ज्योति को स्थापित कर दिया गया है। 
 

Nitika