जानिए उत्तराखंड के मंत्री ने छात्रों से क्यों कहा- अंग्रेजी का टीचर ढूंढो रे

punjabkesari.in Tuesday, Feb 13, 2018 - 09:38 PM (IST)

देहरादून/ ब्यूरो। चंपावत राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय बिना अंंग्रेजी के अध्यापक के चल रहा है। यही नहीं, महाविद्यालय के छात्र यहां राज्य बनने के साथ ही एमएससी और एम.काम विषय के पठन-पाठन की भी मांग कर रहे हैं। उनकी यह मांग अभी तक पूरी नहीं हो पाई है।

 

मंगलवार को चंपावत से आए छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल जब अपनी मांगों को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत से मिला, तो उनका कहना था, हमें पीएचडी किया हुआ व्यक्ति नहीं मिला। आप लोग कहीं से ऐसा शिक्षक लाएं, जो अंग्रेजी में पीएचडी हो, तो अभी नौकरी पर लगा दूंगा। उन्होंने कहा, क्या आप लोगों की नजर में ऐसा व्यक्ति है। हमें तो ढूंढ कर भी नहीं मिल रहा।

चंपावत स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्र मंगलवार को लंबी दूरी तय करके सीधे उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत से मिले। कॉलेज के महासचिव पियूष गोयल, प्रेम वल्लभ, धीरज आदि करीब आठ दस छात्रों के प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री से साफ शब्दों में कहा कि हम अखिल भारतीय छात्र परिषद से जुड़े हैं। लेकिन कॉलेज की समस्याओं को लेकर हमें छात्रों और लोगों को जवाब देने में दिक्कत हो रही है। पियूष जोशी ने कहा  कि राज्य बने सत्रह साल हो गए हैं। लेकिन अभी तक कालेज में एमएससी और एम.काम की पढ़ाई नहीं शुरू हो पायी। यही नहीं, एमए के भी गिने चुने विषय हैं।

इस समय कॉलेज में 800 स्टूडेंट हैं। लेकिन यहां कई विषयों के न होने से काफी दिक्कत हो रही है। यही नहीं, अंग्रेजी विषय होने पर भी अंग्रेजी के प्रवक्ता नहीं हैं। धनसिंह रावत ने उनकी बात सुनने के बाद आश्वासन दिया कि नए सत्र में वह एम.काम, एमएससी तो खुलवा देंगे, लेकिन अंग्रेजी का प्रवक्ता तो आज भी नियुक्त किया जा सकता है। दिक्कत यह है कि अंग्रेजी में पीएचडी किया हुआ शिक्षक नहीं मिल रहा।

 

शासन स्तर पर आवेदन भी मांगे गए, लेकिन किसी ने भी आवेदन नहीं भरा। उन्होंने छात्रों से कहा, अगर वह अंग्रेजी में पीएचडी किए किसी व्यक्ति को लाएं, तो वह तुरंत अस्थायी नौकरी पर रख देंगे। यही नहीं, मंत्री ने उसी समय कालेज के कार्यवाहक प्राचार्य को फोन किया और जानकारी ली। उनका भी यही कहना था कि कोई व्यक्ति आवेदन नहीं कर रहा है। छात्र संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष धीरज का कहना है कि चंपावत कॉलेज की उपेक्षा हो रही है।

 

राज्य बनने के बाद उम्मीद थी कि इस सीमांत क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर किया जाएगा। छात्रों को अपने मनपसंद का विषय पढ़ने को मिलेगा। लेकिन यहां के स्तर में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ। एमए में भी कुछ ही विषय चल रहे हैं। इससे यहां की स्थिति को महसूस किया जा सकता है। लेकिन आज भी परिस्थितियां बदली नहीं हैं। छात्र आज भी चंपावत से 14 किमी दूर लोहाघाट में जाने के लिए मजबूर हैं। वहां से भी दो किमी आगे पैदल जाकर महाविद्यालय में पहुंचा जाता है। यहां छात्रों और लोगों ने हर स्तर पर अपनी बात उठाई है, लेकिन उनकी बातों को सुना नहीं गया है।

क्या कहते हैं धन सिंह रावत?

 

विश्व विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अंग्रेजी के प्रवक्ताओं को लेकर गंभीर है। वह अपने स्तर से भर्ती कर रहा है। अगले सत्र में हमें अंग्रेजी विषय के कुछ शिक्षक अवश्य मिल जायेंगे। जहां तक तात्कालिक तौर पर अस्थायी शिक्षकों की नियुक्ति का सवाल है, तो इसके लिए भी न्यूनतम अर्हता आवश्यक है। दुख का विषय यह है कि कॉलेज में अस्थायी प्रवक्ता के पद के लिए पीएचडी डिग्रीधारी कोई भी शिक्षक नहीं मिल रहा है।