सड़क नहीं, तो हेलीपैड ही बनवा दो सरकार, मंत्री से फरियादी ने लगाई गुहार

punjabkesari.in Saturday, Feb 10, 2018 - 06:09 PM (IST)

देहरादून/ ब्यूरो। आमतौर पर मंत्रियों द्वारा आयोजित जनता दरबार में लोग अपनी सड़क, बिजली, पानी, कृषि, सिंचाई जैसी बुनियादी समस्याएं ही लेकर आते हैं। देहरादून में शनिवार को वित्त मंंत्री प्रकाश पंत के जनता दरबार में एक ऐसा फरियादी पहुंचा जिसको अपने क्षेत्र के लिए हेलीपैड बनाने का अनुमोदन चाहिए था। उसकी फरियाद सुनकर जब हंसते हुए मंत्री ने पूछा कि आपकी इतनी बड़ी डिमांड कैसे पूरी होगी? तो उस फरियादी ने कहा कि सड़क की मांग तो पूरी होती नहीं है। ऐसे में हेलीपैड ही सही। 

 

शनिवार को भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित वित्त मंत्री प्रकाश पंत के जनता दरबार में सौ से अधिक फरियादी अपना दुखड़ा सुनाने पहुंचे। अधिकांश समस्याएं बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी जरूरतों से संबंधित थीं। खास बात यह है कि इन समस्याओं को लेकर फरियादी वर्षों से भटक रहे हैं। शनिवार को चिन्यालीसौड़ ब्लॉक के ज्येष्ठ उप प्रमुख नरेन्द्र सिंगराला भी वित्त मंत्री प्रकाश पंत के जनता दरबार में एक फरियादी के तौर पर शरीक हुए।

पचास से अधिक बसंत देख चुके जनप्रतिनिधि नरेन्द्र खाते-पीते परिवार से हैं। नरेन्द्र की मांग और फरियाद सुनकर वित्तमंत्री भौंचक्क रह गये। नरेन्द्र को अपने क्षेत्र के लिए हेलीपैड का अनुमोदन चाहिए था।

हैरान वित्त मंत्री पहले तो हंसे। बाद में पूछा कि लोग यहां आम समस्याएं लेकर आते हैं। आपकी यह मांग कैसे पूरी होगी? तो संयत भाव से सिंगराला ने जवाब दिया, मंत्री जी सड़क की मांग तो कभी पूरी नहीं होगी। तो ऐसे में हेलीपैड ही सही। वर्ष 2013 की आपदा में सड़कों के अभाव के कारण हमने बहुत दुख भोगे हैं। अब समय आ गया है कि इन दुखों का निराकरण किया जाए। यदि हेलीपैड बन जाए, तो न केवल आपदा के दौरान बल्कि किसी भी विपरीत हालात में स्थानीय जनता को सहूलियत होगी।

सिंगराला का इशारा सड़कों के निर्माण में हो रही लेट लतीफी की ओर था। खैर, वित्त मंत्री ने उनका प्रार्थनापत्र लेकर रख लिया, पर दोनों पक्ष जानते हैं कि इस प्रार्थनापत्र का क्या होगा। जहां पिछले 17 वर्ष में सड़कें नहीं बन पाईं, वहां हेलीपैड कैसे बनेगा? यह बताने की जरूरत नहीं।

मुर्गा और बीमार आदमी में कोई फर्क नहीं

पौड़ी के यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के गांव कलसी के सूबेदार प्रीतम सिंह नेगी का दर्द भी कुछ कम नहीं है। अपने गांव से लेकर मष्ट तक महज दो किमी लंबे मोटर मार्ग के लिए रिटायर सूबेदार पता नहीं कहां कहां भटक आये। कांग्रेस सरकार के दौरान कई बार मंत्रियों और अधिकारियों से गुहार लगाई। इसके बावजूद कुछ हाथ नहीं लगा। भाजपा सरकार बनने के बाद रिटायर सूबेदार ने 31 मार्च 2017 को मौजूदा मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की। 16 जून 2017 को हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाली।

21 जून 2017 को प्रधानमंत्री को खत लिखा। 21 नवंबर 2017 को वन मंत्री हरक सिंह तथा 26 दिसम्बर 2017 को कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के जनता दरबार में जाकर फरियाद की। और शनिवार को वित्त मंत्री प्रकाश पंत से गुहार लगाई। वित्त मंत्री ने गुहार तो सुन ली, पर रिटायर सूबेदार को अभी उम्मीद नहीं है कि उनके और उनके जैसे सैकड़ों ग्रामीणों को जख्मों पर कोई मलहम लग पाएगा। व्याकुल सूबेदार ने तो एक वाक्य में गांव की हालत को बयां कर दिया।

उन्होंने कहा कि गांव में मुर्गा लाना और मुर्दा ले जाना एक समान हो गया है। उनके कहने का आशय यह था कि जिस तरह मुर्गा को साइकिल या बाइक के कैरियर में थैले में बांधकर लाया जाता है, उसी तरह किसी बीमार को हॉस्पिटल पहुंचाया जा रहा है।

मौके पर निस्तारण का होता है प्रयास : पंत

जनता दरबार की सार्थकता को लेकर पूछे जाने पर वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने बताया कि बहुउद्देश्यीय शिविर का आयोजन एक अच्छी पहल है। इसका जनता को सीधा लाभ मिलता है। जनता दरबार में ज्यादार बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि और सिंचाई जैसी बुनियादी समस्याओं को लेकर लोग आते हैं। प्रयास यह किया जाता है कि जनता की समस्याओं का मौके पर ही निस्तारण कर दिया जाए। प्रशासनिक लापरवाही के कारण जनता को होने वाली असुविधाओं का तत्काल निस्तारण किया जाता है। यदि समस्याओं का ताल्लुक विकास योजनाओं से हो, तो उसके निस्तारण में वक्त लगता है।