रिपोर्ट में हुआ खुलासा, एक लाख से अधिक लोगों ने देवभूमि से किया पलायन

punjabkesari.in Saturday, May 05, 2018 - 10:38 PM (IST)

देहरादून: बहुप्रतीक्षित पलायन आयोग की रिपोर्ट शनिवार को सार्वजनिक कर दी गई है। पलायन आयोग के सर्वे पर आधारित इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्यों का उल्लेख है। पिछले दस वर्षों की आबादी पर आधारित सर्वे में उल्लेख हुआ कि एक लाख से अधिक लोग इस प्रदेश से अंतिम रूप से पलायन कर चुके हैं, जबकि 3.83 लाख से अधिक लोग अस्थायी रूप से पलायन के शिकार हुए हैं। रिपोर्ट में रिवर्स पलायन का भी जिक्र है। सबसे खास बात यह है कि ग्रामीण इलाकों से बेशक पलायन हुआ है, परंतु कुछ ऐसे भी गांव हैं, जहां दूसरे प्रदेश के लोग आकर बसे हैं।

 

शनिवार को मुख्यमंत्री आवास में पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी और ग्राम्य विकास विभाग के सचिव मनीषा पंवार की मौजूदगी में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यह रिपोर्ट सार्वजनिक की। सीएम रावत ने कहा कि पलायन आयोग की पहली व अंतरिम रिपोर्ट में पलायन और उसके कारणों  जिक्र हुआ है। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के अभाव को पलायन का मुख्य कारण माना गया है। सीएम ने कहा कि पलायन के मुख्य कारणों के आधार पर निदाय के उपाय शुरू कर दिए गए हैं। 2020 तक लक्ष्य रखा गया है कि हम शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की बेहतर सुविधाएं देकर पलायन पर यथासंभव ब्रेक लगाएं।

 

पलायन के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु

  • उत्तराखंड के 7950 ग्राम पंचायतों का सर्वेक्षण जनवरी व फरवरी 2018 में ग्राम्य विकास विभाग की ओर से कराया गया।
  • ग्राम पंचायत स्तर पर मुख्य व्यवसाय कृषि 43 प्रतिशत और मजदूरी 33 प्रतिशत है।
  • पिछले दस वर्षों में 6338 ग्राम पंचायतों से 3,83,726 लोगों ने स्थायी और 3946 ग्राम पंचायतों से 1,18,981 लोगों ने स्थायी रूप से पलायन किया है।
  • 50 फीसदी लोगों ने आजीविका और रोजगार की समस्या के कारण, 15 फीसदी लोगों  ने शिक्षा संबंधी समस्या के कारण और आठ फीसदी लोगों ने चिकित्सा सुविधा के अभाव में पलायन किया है।
  • 26 से 35 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में सर्वाधिक 42 प्रतिशत, 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में 29 प्रतिशत तथा 25 वर्ष से कम आयु वर्ग में 28 प्रतिशत लोगों ने पलायन किया है।
  • पलायन करने वालों में 70 प्रतिशत लोगों ने राज्य के अंदर, 29 प्रतिशत ने राज्य के बाहर और एक प्रतिशत ने देश के बाहर पलायन किया है ।
  • राज्य के लगभग 734 राजस्व ग्राम, तोक, मजरा 2011 की जनगणना के बाद गैरआबाद हो चुके हैं। यानी इन गांवों में एक भी व्यक्ति नहीं रहता। इनमें से 14 गांव अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे हैं।
  • राज्य के 565 ऐसे गांव हैं, जिनकी आबादी 2011 के बाद 50 फीसदी तक कम हुई है। इनमें से छह गांव सीमांत गांव हैं।
  • नौ पर्वतीय जिलों के 35 विकास खंड चिह्नित किए गए हैं। इनमें जाकर आयोग की टीम लघु, मध्यम एवं दीर्घ अवधि की कार्ययोजना बनाएगी। ताकि बहुक्षेत्रीय विकास तेजी से हो सके।

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