नैनीताल HC का निर्देश- जंगली जानवरों पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाए सरकार

punjabkesari.in Saturday, May 18, 2019 - 01:56 PM (IST)

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य के पर्वतीय इलाकों में आतंक का पर्याय बने बंदरों एवं जंगली सूअरों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को कानूनन कार्रवाई करने को कहा है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर सभी याचिकाओं को पूरी तरह से निस्तारित कर दिया है। याचिकाकर्ताओं में से एक के अधिवक्ता ने यह जानकारी दी।

अधिवक्ता ने बताया कि जंगली जानवरों के आतंक को लेकर हाईकोर्ट में जनार्दन लोहुमी (1916), मास्टर आयुष त्रिपाठी (2015), दिव्यांशी भैंसोरा (2016) और ग्रामीण विकास क्षेत्रीय समिति (2016) की ओर से विभिन्न जनहित याचिकाएं दायर की गईं थीं। याचिकाओं के माध्यम से राज्य में बंदरों एवं जंगली सूअरों के आतंक से राहत दिलाने की मांग की गई थी। याचिकाओं में कहा गया था कि ये जंगली जानवर न केवल लोगों पर हमला कर रहे हैं, बल्कि पर्वतीय क्षेत्र में फसलों को तबाह भी कर रहे हैं। कोर्ट ने सरकार को न्यायमित्र अधिवक्ता अकरम परवेज द्वारा दिए गए सुझावों पर भी गौर करने के निर्देश दिए हैं।

कोर्ट ने अधिवक्ता परवेज को मास्टर आयुष त्रिपाठी की ओर से दायर जनहित याचिका में न्यायमित्र अधिवक्ता नियुक्त किया था। न्यायमित्र की ओर से जंगली जानवरों के आतंक को कम करने के लिए कुछ सुझाव पेश किए गए थे। वर्ष 2015 में अल्मोड़ा के एक सरकारी स्कूल के छात्रों की ओर से बंदरों के आतंक पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य न्यायाधीश को 52 पोस्ट कार्ड भेजे गए थे। छात्रों की ओर से की गई शिकायत में बताया गया कि किस तरह बंदर छात्र-छात्राओं पर झपटते हैं और कक्षाओं से उनका खाना भी छीन कर ले जाते हैं। हाईकोर्ट की ओर से स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में जनहित याचिका दायर कर ली गई थी।

साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार और वन विभाग को इस मामले में उचित कार्रवाई करने के भी निर्देश जारी किए थे। इसके बावजूद जब बंदरों का आतंक कम नहीं हुआ तो स्कूल के छात्र-छात्राओं की ओर से 2016 में पुन: मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा गया। इसके बाद कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और वन विभाग को निर्देश दिया कि जंगली जानवरों के आतंक पर अंकुश लगाने और स्कूलों में बंदरों के आतंक को कम करने के मामले में उठाए गए कदमों के बारे में रिपोर्ट पेश करें।

Deepika Rajput