गोदियाल की बढ़ सकती हैं मुश्किलें! मुख्य सचिव के पास बद्री केदार मंदिर समिति में गड़बड़ियों की जांच

punjabkesari.in Friday, Jul 08, 2022 - 05:20 PM (IST)

 

देहरादून(कुलदीप रावत): पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वर्ष 2012 से 17 के बीच बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल में मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी द्वारा गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति में इन दिनों सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। मंदिर समिति के ही सदस्य आशुतोष डिमरी ने मंदिर समिति पर कांग्रेस शासनकाल 2012 से वर्ष 2017 के बीच भारी वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं, जिसको लेकर उनके द्वारा शिकायती पत्र प्रभारी मंत्री चमोली धन सिंह रावत को दिया गया है। बीकेटीसी के सदस्य के द्वारा आरोप लगाए गए हैं कि 2012 से वर्ष 2017 में मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल के कार्यकाल में मंदिर समिति में भारी गड़बड़ियां हुई है। सदस्य की शिकायत के आधार पर प्रभारी मंत्री के द्वारा अब मुख्य सचिव उत्तराखंड एवं धर्मस्व सचिव उत्तराखंड को पत्र लिखकर जांच के आदेश दे दिए गए हैं।
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मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी लिखते हैं कि बद्रीनाथ व केदारनाथ में भगवान की तिजोरी पर किस ढंग से डाका डाला गया है। इसका पुख्ता प्रमाण सामने दिखाई दे रहा है। बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के 2 अधिकारियों ने मंदिर अधिनियम 1939 का खुलेआम उल्लंघन करते हुए भगवान के खजाने से करोड़ों लुटा दिए। इस पत्र में तत्कालीन मंदिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल पर वर्तमान मंदिर समिति के सदस्य आशुतोष डिमरी ने आरोप लगाते हुए लिखा है कि वर्ष 2015 में मंदिर समिति के पैसों से जनपद टिहरी में एक सड़क बना दी गई।

वहीं 2015 में पोखरी में स्थित एक शिवालय का उनके द्वारा पुनर्निर्माण करवाया गया, जो मंदिर समिति के अधीन ही नहीं था। इस मंदिर के निर्माण में बिना निविदा के काम करवाया गया, जिस पर 15 लाख रुपए खर्च हुए। इसके साथ ही उनके द्वारा उस समय बिना अनुमति के कई सारी भर्तियां भी करवाई गई हैं, जिसका उल्लेख इस शिकायती पत्र में है और तो और भगवान बद्रीनाथ के प्रसाद के लड्डू में भी बड़ा गोलमाल किया गया है। इसका भी समिति के सदस्य द्वारा आरोप लगाया गया है। सदस्य द्वारा आरोप लगाया गया है। |

बद्रीनाथ में चौलाई के बद्रीश लड्डू का कार्य बिना निविदा के दिया गया है और इसमें अधिशासी अभियंता अनिल ध्यानी के द्वारा अपने चहेते को यह कार्य दिया गया है। पूर्व में उत्तर प्रदेश और वर्तमान में श्रीनगर के एक व्यवसाई को इस कार्य का जिम्मा दिया गया है। इसके साथ ही अवर अभियंता अनिल ध्यानी को 2 वर्ष में ही कैसे अधिशासी अभियंता बना दिया गया। इस पर भी सवाल उठते हैं। पत्र में ऐसे कई और भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं। प्रभारी मंत्री के द्वारा मुख्य सचिव को जांच के लिए पत्र भेज दिया गया है। अब देखना होगा कितने जल्दी यह जांच पूरी होती है और इस पत्र में लगाए गए आरोपों की पुष्टि होती है।


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Nitika

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