कांवड़ यात्रा रद्द होने से उत्तराखंड में धार्मिक पर्यटन को गहरा आर्थिक नुकसान

punjabkesari.in Friday, Jul 24, 2020 - 12:22 PM (IST)

 

देहरादूनः कोरोना महामारी की वजह से सालाना कांवड़ मेला पर प्रतिबंध लगाए जाने और चारधाम यात्रा सीमित होने से उन लोगों की रोजी-रोटी प्रभावित हो गई, जो राज्य में धार्मिक पर्यटन से अपनी कमाई करते थे।

हरिद्वार व्यापार मंडल के जिला अध्यक्ष सुरेशी गुलाटी ने कहा कि पिछले साल चारधाम यात्रा से 1,100 करोड़ रुपए आमदनी हुई थी। साथ ही रिकॉर्ड 36 लाख श्रद्धालुओं ने केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री की यात्रा की थी। लेकिन इस साल यात्रियों की आवाजाही नहीं हुई। हरिद्वार और ऋषिकेश में सावन महीने में कांवड़ियों के आने की वजह से होटल, आश्रम, अतिथिगृह और धर्मशाला पूरी तरह से भरे रहे थे और राज्य के मंदिरों में दर्शन के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु आते थे। सामाजिक दूरी, मास्क पहनने की अनिवार्यता और मूर्तियों को छूने से मनाही जैसे नियमों की वजह से श्रद्धालुओं का उत्साह ठंडा रहा। इन मंदिरों में प्रसाद वितरण और घंटियां बजाने पर भी मनाही थी।

वहीं भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय सचिव कैलाश केशवानी ने कहा कि पर्यटन, खास तौर पर धार्मिक पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध और चारधाम की सीमित यात्रा से यह काफी प्रभावित रहा। हरिद्वार में ही सिर्फ प्रतिबंध से 1.5 अरब रुपए का नुकसान हुआ। हरिद्वार होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा ने कहा कि कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध और सीमित चारधाम यात्रा से प्रतिष्ठानों का खर्चा उठा पाना और आर्थिक नुकसान के बीच कर का भार उनके लिए चुनौती है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार इसमें कुछ मदद करेगी।

बता दें कि चारधाम यात्रा संयुक्त चक्कर यात्रा प्रबंधन समिति के निदेशक और पूर्व अध्यक्ष सुधीर राय ने कहा कि मई और जून महीने में चारधाम यात्रा अपने चरम पर होती थी, इस साल कोरोना की वजह से बस चालकों को करीब 22 करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि इसी तरह से टैक्सी, मैक्स और टैम्पो चालकों को भी करीब 30 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
 


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Nitika

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