जनता दरबार में एक बार फिर हुआ हंगामा, नवजात बच्ची को मेज पर रखकर बोली महिला- संभालो इसे

punjabkesari.in Friday, Feb 23, 2018 - 11:10 AM (IST)

देहरादून: ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडे की मौत का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि कृषि मंत्री सुबोध उनियाल के जनता दरबार में गुरुवार को एक बार फिर जमकर हंगामा हुआ। अपनी नवजात बीमार बेटी के साथ पहुंची एक महिला ने बच्ची को मंत्री की मेज पर रख दिया और खुद बाहर धरने पर बैठ गई। 

बच्ची डाऊन सिंड्रोम की शिकार 
जानकारी के अनुसार, हरिद्वार के खानपुर की रहने वाली महिला कुमकुम ने 10 महीने पहले डाऊन सिंड्रोम की शिकार बच्ची को जन्म दिया। भव्या नाम की इस बच्ची की शारीरिक और मानसिक हालत काफी खराब है। उसके शरीर की सभी नसें कमजोर हैं और वह कभी अपने पैरों पर नहीं चल पाएगी। कुमकुम अपनी बच्ची की इस हालत के लिए शहर के लूथरा नर्सिंग होम की डॉक्टर अर्चना लूथरा को जिम्मेदार मानती है। महिला ने आरोप लगाते हुए कहा कि डॉक्टर लूथरा ने प्रैग्नैंसी के दौरान सभी आवश्यक जांच की। जांच के दौरान डॉक्टर ने कभी यह नहीं कहा कि गर्भ में पल रहा नवजात डाऊन सिंड्रोम का शिकार है। यदि समय से इसकी जानकारी दे दी जाती को वह बीमार बच्ची को कभी पैदा नहीं होने देती। इस तरह का मैडीको-लीगल प्रावधान भी है। कुमकुम का आरोप है कि जान-बूझकर डाक्टर ने एक बीमार बच्ची को इस धरती पर आने दिया जो हमेशा दूसरों पर आश्रित रहेगी। 

पीड़िता ने राज्य सरकार से भी की शिकायत 
इस संबंध में उसने महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग और बाल संरक्षण आयोग के साथ ही राज्य सरकार से भी शिकायत की थी। मानवाधिकार और अन्य आयोगों की पहल पर उत्तराखंड मैडीकल काऊंसिल ने इस मामले की जांच की। महिला मे आरोप लगाते हुए कहा कि काऊंसिल के रजिस्ट्रार डा. वाईएस बिष्ट के पास जांच रिपोर्ट पहुंच चुकी है परंतु वह इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। कुमकुम आरोपी डॉक्टर और रजिस्ट्रार के खिलाफ कार्रवाई चाहती है। 

कार्यालय के बाहर धरने पर बैठी पीड़िता 
इसी कारण गुरुवार को वह कृषि मंत्री के जनता दरबार में पहुंच गई। अपनी बच्ची को मंत्री की मेज पर रख दिया और कहा कि मंत्री जी आप ही संभालो इस बच्ची को। इतना कहकर वह सीधे बाहर निकली और भाजपा प्रदेश कार्यालय में ही धरने पर बैठ गई। कुमकुम का कहना था कि इंसाफ मिलने तक वह यहीं बैठी रहेगी। बीमार बच्ची का भरण पोषण करने में वह सक्षम नहीं है। कुमकुम द्वारा इस तरह बच्ची को मंत्री की मेज पर रखने से वहां हड़कंप मच गया। आनन-फानन में बच्ची को महिला पुलिसकर्मियों के हवाले किया गया। 

रजिस्ट्रार के आश्वासन के बाद पीड़िता हुई शांत 
उधर, कृषि मंत्री ने रजिस्ट्रार वाईएस बिष्ट को फोन लगाया। डॉक्टर बिष्ट ने फोन पर बताया कि रिपोर्ट उनके पास आ चुकी है और इसकी एक प्रति वह मानवाधिकार आयोग और एक कॉपी बाल संरक्षण आयोग को भेज चुके हैं। पीड़ित पक्ष को भी रिपोर्ट की कॉपी भेजी गई है। रजिस्ट्रार के इस आश्वासन के बाद कुमकुम शांत हुई और उसने अपना धरना खत्म किया। कुमकुम ने बताया कि वह लगातार 10 जनता दरबार में आ चुकी है। उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।