हनोल महासू मंदिर होगा प्रदेश का पांचवां धाम: पर्यटन मंत्री

punjabkesari.in Wednesday, May 09, 2018 - 08:10 PM (IST)

विकासनगर: त्यूणी तहसील के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल हनोल महासू मंदिर को प्रदेश का पांचवां धाम घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही चकराता, टाइगर फाल, देव वन, मुंडाली, लाखामंडल, नैटवाड़ स्थित दुर्योधन मंदिर को उत्तराखंड के पर्यटन नक्शे में शामिल किया जाएगा। यह बात बुधवार को चकराता के त्यूणी हनोल में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा वित्त पोषित पर्यटन संरचना विकास एवं निवेश कार्यक्रम में कही। 

 

इस मौके पर उन्होंने हनोल महासू मंदिर और पर्यटक आवास गृह अवस्थापना सुविधा केंद्र का भी लोकार्पण किया। हनोल जौनसार बाबर के कुल देवता महासू का तीर्थ स्थल है। जोकि उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल प्रदेश वासियों की श्रद्धा का केंद्र है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इन पर्यटन स्थलों को विकसित करने के लिए 98 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। उत्तराखंड के सभी पर्यटन स्थलों को महाभारत सर्किट की तरह विकसित किया जाएगा, ताकि देश-विदेश के पर्यटकों को उत्तराखंड आने के लिए आकर्षित किया जा सके। 

 

पर्यटन मंत्री ने कहा कि पर्यटन स्थलों पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध व्यंजनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही पर्वतीय इलाकों के हस्त और शिल्प कला को बढ़ावा देने का प्रयास किया जाएगा। महासू देवता को जागृत देवता माना जाता है। देवता के मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। केवल मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। मंदिर में हमेशा एक ज्योति जलती रहती है, जो पिछले कई दशकों से जल रही है। मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा निकलती है, लेकिन वह कहां जाती है, कहां से निकलती है, इस बात को आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है। 

 

दरअसल 'महासू देवता' एक नहीं, चार देवताओं का सामूहिक नाम है। स्थानीय भाषा में महासू शब्द 'महाशिव' का अपभ्रंश है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू है, जो कि भगवान शिव के ही रूप हैं। यह मंदिर 9वीं शताब्दी में बनाया गया था। वर्तमान में यह मंदिर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के संरक्षण में है। महासू देवता भगवान भोलेनाथ के रूप हैं। मान्यता है कि महासू ने किसी शर्त पर हनोल का यह मंदिर जीता था। महासू देवता जौनसार बावर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ईष्ट देव हैं।

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