महीने भर मौत से लड़कर बुझ गया दीपक, कुलगाम में आतंकियों से मुठभेड़ में हुआ था घायल

punjabkesari.in Sunday, May 20, 2018 - 02:27 PM (IST)

देहरादून/ब्यूरो। उत्तराखंड के एक और जवान ने देश की हिफाजत के लिए अपनी शहादत दी है। 10 अप्रैल को कश्मीर में आतंकवादियों का सामना करते हुए देहरादून के हर्रावाला निवासी सेना की राष्ट्रीय राइफल्स के नायक दीपक नैनवाल बुरी तरह घायल हो गए थे। जिंदगी और मौत के बीच महीने भर से ज्यादा चली जंग के बाद आखिरकार शनिवार रात करीब 10 बजे दीपक ने पुणे स्थित सैन्य अस्पताल में अंतिम सांस ली। दीपक की शहादत की खबर मिलते ही उनके आवास पर बड़ी संख्या में लोगों का जमावड़ा लग गया है। शहीद के पार्थिव शरीर के आज देर शाम तक पहुंचने की संभावना है।  

मूलरूप से चमोली जिले के कर्णप्रयाग ब्लाॅक के कांचुला गांव निवासी चक्रधर नैनवाल और पार्वती देवी के पुत्र दीपक अपने पीछे माता-पिता और भाई के साथ ही पत्नी ज्योति, छह वर्षीय पुत्री समृद्धि और पांच वर्षीय पुत्र वैभव को बिलखता छोड़ गए हैं। उनके भाई प्रदीप भी सुरक्षा सेवा से जुड़े हैं। पिता चक्रधर भी सेना से आनरेरी कैप्टन रिटायर्ड हैं। दीपक वर्तमान में अपनी पत्नी-बच्चों, माता-पिता और भाई के साथ यहां देहरादून-हरिद्वार हाईवे स्थित हर्रावाला के सिध्दपुरम, लेन न-2 में रह रहे थे। 

कुलगाम मुठभेड़ में लगी थी गोलियां
पिछले महीने 10 अप्रैल को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में सेना और आतंकवादियों के बीच चली लंबी और बहुचर्चित मुठभेड़ के दौरान दीपक बुरी तरह घायल हो गए थे। इस मुठभेड़ में सेना के एक जवान की भी शहादत हुई थी। घायल दीपक का पहले दिल्ली के सैन्य अस्पताल में इलाज किया गया। उनके शरीर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था। बाद में उन्हें पुणे सैन्य अस्पताल ले जाया गया। पिछले एक सप्ताह से उन्होंने कुछ खाना-पीना भी बंद कर दिया था। बीती रात करीब 10 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। 

परिजन पुणे रवाना
दीपक की शहादत की सूचना मिलते ही यहां हर्रावाला की सिद्धपुरम काॅलोनी में शोक की लहर दौड़ गई है। उनके माता-पिता, भाई और पत्नी पुणे मेंही हैं। रात से ही आवास पर लोगों का तांता लगा हुआ है। बताया जा रहा है कि शहीद का पार्थिव शरीर पुणे से दिल्ली और वहां से देर शाम तक यहां जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया जाएगा।

शहीद दीपक प्रथम माहर रेजिमेंट में बतौर जवान कार्यरत था, लेकिन वर्तमान में वह राष्ट्रीय राईफल रेजिमेंट में नायक के पद पर जम्बू-कश्मीर में तैनात था। पिछले माह 10 अप्रैल 2018 को कश्मीर में आतंकी हमले में दीपक गम्भीर रूप से घायल हो गया था, हमले में शहीद दीपक को कंधे और सीने में तीन गोलियां लगी। मुठभेड़ खत्म होने के बाद दीपक को आर.आर. हॉस्पिटल में भर्ती था।

अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे दीपक के शरीर से चिकित्सको ने दो गोलियों को बामुश्किल आपरेशन से निकाला, लेकिन तीसरी गोली हड्डी में फसने से आपरेशन नही हो पाया, जिससे दीपक की हालत बिगड़ती गई। रविवार तड़के सुबह दीपक ने अस्पताल में आखरी सांस ली। इससे घर मे सन्नाटा पसर गया। घर मे माँ पार्वती देवी का रो -रो के बुरा हाल है। जबकि उसकी पत्नी ज्योति (32) साथ मे ही है।

दीपक के शहीद होने केे बाद माता पिता का छोटा बेटा  प्रदीप (32) ही एक मात्र सहारा है। वह महालेखाकार कार्यालय देहरादून में कार्यरत है। बहन पूनम (34) की शादी हो चुकी है। दीपक के दो बच्चे है। बड़ी बेटी समृद्धि (6) और बेटा वैभव (4) का है, जिन्हें यह पता भी नही है कि अब उनके सिर से पिता का साया हट गया है। शहीद के पार्थिव शरीर देखने को डन में उनके घर मे भीड़ जुटी है। शहीद के चाचा जगदीश नैनवाल ने बताया कि सोमवार को सैन्य सम्मान के साथ शहीद दीपक का हरिद्वार में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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