बीकेटीसी की योजना, दो सौ करोड़ से होगा बदरीनाथ मंदिर के परिसर का विस्तार

punjabkesari.in Friday, May 11, 2018 - 06:57 PM (IST)

देहरादून: आने वाले समय में बदरीनाथ धाम में स्थित बदरी विशाल मंदिर का बाहरी परिसर अब खुला-खुला नजर आएगा। मंदिर का रखरखाव करने वाली श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) ने मंदिर परिसर के विस्तार का एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है जिस पर सैद्धांतिक सहमति लगभग बन चुकी है। यदि यह प्रोजेक्ट धरातल पर उतरता है, तो परिसर में पांच हजार यात्री एक साथ मंदिर की परिक्रमा कर सकेंगे। श्रीबदरीनाथ धाम का मंदिर प्राचीन हिमाद्री शैली में बना हुआ है, जो सिंहद्वार, सभामंडप व गर्भगृह में विभाजित है। नारायण पर्वत की तलहटी पर स्थित इस मंदिर के ऊपरी क्षेत्र में अविलांच जोन (हिम स्खलन क्षेत्र) होने से मंदिर की ऊंचाई मध्यम रखी गई है, ताकि हिम स्खलन का असर मंदिर पर न पड़े। 

 

मंदिर के बाहर का परिसर भी अपेक्षाकृत काफी छोटा है। परिसर छोटा होने से यात्रियों को मंदिर की परिक्रमा करने में काफी दिक्कतें होती हैं। गौर करने वाली बात यह है कि मौजूदा वर्षों में लगभग 10 लाख यात्री बदरीनाथ धाम के दर्शन करने पहुंचते हैं। यात्रा सीजन में इन यात्रियों की प्रतिदिन औसतन संख्या 15-16 हजार होती है। परिसर के संकरे होने व बाहर निकलने के सिर्फ दो रास्ते होने से यहां कभी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है। इस आशंका को देखते हुए बीकेटीसी ने मंदिर परिसर के विस्तार की योजना बनाई है, जिसे धरातल पर उतारने के लिए राज्य सरकार अपनी मौखिक सहमति दे चुकी है।

 

50 मीटर हो जाएगी मंदिर परिसर की परिधि
मौजूदा समय में बदरीनाथ मंदिर परिसर की औसतन परिधि 12 मीटर है, जिसे बढ़ाकर 50 मीटर किया जाना प्रस्तावित है। मंदिर परिसर की परिधि बढ़ाने के लिए मंदिर के आसपास स्थित बीकेटीसी के भवनों और पंडा समाज के आवासीय भवनों को ध्वस्त करना होगा। उसके बाद उनका बदरीकाश्रम क्षेत्र में ही उनका पुनर्वास भी किया जाना है।

200 करोड़ की दरकार
बीकेटीसी को उम्मीद है कि या तो राज्य सरकार इसके लिए बजट आवंटित करे या फिर किसी बड़ी कम्पनी से कारपोरेट सोशल रिस्पांस्बिलिटी (सीएसआर) के तहत इस योजना को धरातल पर उतारा जाए। मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह का कहना है कि इस योजना को अमलीजामा पहनाने में लगभग 200 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। बदरीनाथ मंदिर परिसर के विस्तार की योजना पर आम सहमति बनाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पंडा समाज के साथ कुछ बैठकें इस सम्बंध में हुई हैं।

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