ये न बताएं उत्तराखंड में राम राज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं, जमीनी सच्चाई बताएं: HC

punjabkesari.in Thursday, Jun 24, 2021 - 11:18 AM (IST)

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर से मुकाबला करने के लिए राज्य सरकार के ढुलमुल रवैये पर बुधवार को फटकार लगाई। साथ ही कहा कि सरकार अदालत को मूर्ख बनाना बंद करे और जमीनी सच्चाई बताए।

उच्च न्यायालय ने कड़े शब्दों में सरकार से कहा कि मुख्य न्यायाधीश को ये ना बताएं कि उत्तराखंड में राम राज्य है और हम स्वर्ग में रहते हैं। सरकार को वायरस के डेल्टा प्रकार से निपटने के लिए तैयारियां करनी चाहिए जो कि विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी अन्य प्रकार से अधिक तेजी से फैलता है। अदालत ने कहा, “हमें मूर्ख बनाना छोड़िए और सच्चाई बताइए। मुख्य न्यायाधीश को यह मत बताइए कि उत्तराखंड में रामराज्य है और हम स्वर्ग में रह रहे हैं। हमें जमीनी हकीकत के बारे में बताइए।

उत्तराखंड सरकार द्वारा कोरोना से मुकाबले के लिए किए जा रहे उपायों के संबंध में दायर एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी को फटकार लगाते हुए मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि कोविड का डेल्टा प्लस प्रकार पीछे बैठ कर सरकार को तैयारी करने का मौका नहीं देगा। पीठ ने कहा, “डेल्टा प्लस प्रकार अगले तीन महीने में फैल सकता है। यह प्रकार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और केरल में पहुंच चुका है।” पीठ ने कहा कि राज्य सरकार को आईसीयू, बिस्तरों, ऑक्सीजन सांद्रक और एम्बुलेंस सहित अन्य तैयारियों की जमीनी हकीकत के बारे में बताना चाहिए।

वहीं अदालत ने कहा, “क्या सरकार तब जागेगी जब तीसरी लहर में हमारे बच्चे मरने लगेंगे?” इसके साथ ही अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को निर्देश दिया कि बच्चों के संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती कदमों के बारे में हलफनामा दायर करे। मामले पर अगली सुनवाई 7 जुलाई और 28 जुलाई को होगी जब सरकार को चारधाम यात्रा पर लिए गए निर्णय के बारे में अदालत को अवगत करवाना होगा।


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Nitika

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