महाकुंभ फर्जीवाड़ा: आरोपियों को नहीं मिली जमानत, HC ने याचिका को किया खारिज

punjabkesari.in Friday, Mar 25, 2022 - 06:16 PM (IST)

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरिद्वार महाकुंभ कोरोना जांच फर्जीवाड़ा के आरोप में जेल में बंद शरत पंत, मल्लिका पंत व आशीष वशिष्ठ को कोई राहत नहीं दी। अदालत ने शुक्रवार को तीनों के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। तीनों आरोपियों पर हरिद्वार महाकुंभ के दौरान तीर्थयात्रियों के कोरोना जांच के नाम पर फर्जी आंकड़े प्रस्तुत करने और सरकारी धन को हड़पने का षड्यंत्र रचने का आरोप है।

यह भी आरोप है कि कोरोना महामारी की जांच के लिए आरोपियों की ओर से अकुशल कर्मियों की तैनाती की गई और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को फर्जी आंकड़े उपलब्ध करवाए गए। पिछले साल प्रकाश में आए एक मामले ने इस पूरे फर्जीवाड़े की पोल खोल दी। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से स्वास्थ्य महकमे को जांच के आदेश दिए गए। जांच रिपोर्ट में आए तथ्यों के बाद हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर से आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया। पुलिस ने तीनों आरोपियों को पिछले साल जुलाई व नवम्बर में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। तीनों तभी से जेल में बंद हैं। इसी के बाद तीनों की ओर से उच्च न्यायालय में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र पेश किया गया। न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की एकलपीठ में आज तीनों आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई हुई।

सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं। यह भी तथ्य प्रकाश में आया कि सरकार की ओर से शरत पंत व मल्लिका पंत की मैक्स कारपोरेट सर्विसेज को महाकुंभ में आने वाले तीर्थयात्रियों की कोरोना जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। मैक्स कारपोरेट सर्विसेज की ओर से नलवा लैब व डॉ. लालचंदानी लैब को रेपिड एंटीजेंट टेस्ट के लिए नियुक्त किया गया। नलवा लैब की ओर से भिवानी (हरियाणा) की पैथोलॉजी लैब डेल्थिया के आशीष वशिष्ठ को भी अपने साथ जोड़ा गया। सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इस सरकारी धन को हड़पने के लिए आरोपियों की ओर से फर्जी आंकड़े प्रस्तुत किए गए। एक ही मोबाइल नंबर व पते पर कई कई लोगों की कोरोना जांच दिखाई गई है। जांच टीम की ओर से ऐसे कुछ लोगों को खोज निकाला गया, जिन्होंने महाकुंभ के दौरान कोरोना महामारी की जांच नहीं करवाई लेकिन कंपनी की ओर से उनके आंकड़े उपलब्ध करवाए गए हैं।

यह तथ्य भी प्रकाश में आया कि मैक्स कॉर्पोरेट की ओर से सरकार को कोरोना महामारी जांच के नाम पर 4 करोड़ का बिल उपलब्ध करवाया गया। उपमहाधिवक्ता टीसी अग्रवाल ने बताया कि अंत में अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तीनों आरोपियों के जमानत प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
 


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Nitika

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