कल 18 साल का होगा उत्तराखंड, अब तक यह 9 कद्दावर नेता ले चुके हैं मुख्यमंत्री पद की शपथ

punjabkesari.in Thursday, Nov 08, 2018 - 02:09 PM (IST)

देहरादूनः उत्तराखंड का शुक्रवार को 19वां स्थापना दिवस है। 18 साल पहले उत्तराखंड ने उत्तर प्रदेश से अलग होकर अपना अस्तित्व बनाया था। इन 18 सालों में राज्य में अब तक 9 मुख्यमंत्रियों के द्वारा शपथ ग्रहण की जा चुकी है। पृथक राज्य की लंबी लड़ाई के दौरान कई शहादतों के बाद उत्तराखंड 27वें राज्य के रूप में स्थापित तो हो गया लेकिन सत्ता के भूखे राजनेताओं ने नए राज्य की परिकल्पना को कभी पनपने नहीं दिया।

जानकारी के अनुसार, राज्य स्थापना के दौरान नित्यानंद स्वामी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी के साथ ही भाजपा में भगत सिंह कोश्यारी खेमे का दबाव सत्ता में कंपन का एहसास करवाने लगा था। इसके बाद भाजपा हाईकमान ने घुटने टेककर भगत सिंह कोश्यारी को सत्ता की चाबी सौंप दी। नए राज्य की जनता 2 सालों में ही 2 मुख्यमंत्री देख चुकी थी लेकिन लोगों को यह अंदाजा नहीं था कि उत्तराखंड की यह राजनीतिक शुरुआत उसकी भविष्य की परिणीति बन जाएगा। 

उत्तराखंड के इन 9 मुख्यमंत्रियों का सफर कुछ इस तरह रहाः-
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नित्यानंद स्वामी उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री थे। राज्य का गठन होने के बाद भाजपा  ने यूपी विधान परिषद के तत्कालीन सदस्य नित्यानंद स्वामी को नए राज्य के मुख्यमंत्री  का पदभार संभालने के लिए कहा, हालांकि स्वामी ज्यादा दिनों तक मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बचा पाए। पार्टी के कहने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। स्वामी का कार्यकाल 9 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक चला। 

- भाजपा ने नित्यानंद स्वामी से इस्तीफा लेने के बाद राज्य में कैबिनेट मंत्री भगत सिंह कोश्यारी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया। साल 2002 में राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव करवाए गए। चुनाव में भाजपा की हार के चलते कोश्यारी को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002 तक राज्य के सीएम पद पर रहे। 

- साल 2002 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बड़ी जीत मिली। कांग्रेस के कद्दावर नेता और उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री रह चुके एनडी तिवारी राज्य के तीसरे मुख्यमंत्री बने। एनडी तिवारी राज्य के पहले और आखिरी नेता है जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के कारण उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। वह 24 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 तक मुख्यमंत्री रहे। 

- साल 2007 में राज्य विधानसभा के दूसरे चुनाव हुए जिसमें भाजपा को जीत मिली। पार्टी ने कड़क मिजाज के लिए जाने वाले मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूरी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया। खंडूरी 8 मार्च 2007 को राज्य के चौथे मुख्यमंत्री बने लेकिन भाजपा विधायकों के विरोध के चलते खंडूरी ने 23 जून 2009 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। 

- 2009 में रमेश पोखरियाल निशंक राज्य के नए मुख्यमंत्री बने लेकिन उन पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से पार्टी की लगातार गिरती साख के कारण भाजपा ने चुनाव से ठीक 6 महीने पहले दोबारा खंडूरी पर दांव लगाया और उन्हें सीएम बनाया। हालांकि खंडूरी भाजपा को 2012 के विधानसभा चुनाव में जीत नहीं दिला पाए। चुनाव में भाजपा और खंडूरी दोनों की हार हुई। 

- साल 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद स्वतंत्रता सेनानी और मशहूर नेता हेमवती नंदन बहुगुणा के बेटे विजय बहुगुणा मुख्यमंत्री बने लेकिन 2014 में उत्तराखंड में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद राहत और पुनर्वास कार्यों को लेकर बहुगुणा की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने लगे। इसी के चलते कांग्रेस को बहुगुणा को मुख्यमंत्री पद से हटाना पड़ा। 

- बहुगुणा को हटाकर कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री हरीश रावत को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन रावत के लिए भी मुख्यमंत्री का सफर आसान नहीं था। सत्ताधारी दल कांग्रेस के 9 विधायकों ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया। केंद्र सरकार ने कैबिनेट की आपात मीटिंग बुलाकर यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुए फ्लोर टेस्ट में कांग्रेस विजयी हुई और फिर 11 मई को केंद्र ने राज्य से राष्ट्रपति शासन हटा लिया। 

इसके बाद अंत में 2017 में विधानसभा चुनाव हुए तो भाजपा ने राज्य के इतिहास में पहली बार 57 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनाई। हालांकि राजनीतिक अस्थिरता से राज्य के हुए बेहद नुकसान के बावजूद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट विकास के होने की बात कह रहे हैं और सत्ता में हुई अस्थिरता के लिए कांग्रेस को ही दोष दे रहे हैं। 

बता दें कि पिछले 18 सालों में सबसे ज्यादा मुख्यमंत्री पद पर बदलाव भाजपा में हुआ। इसके बावजूद कांग्रेस को अजय भट्ट द्वारा दोषारोपित किया जा रहा है हालांकि कांग्रेस भी आरोप लगाने में पीछे नहीं हट रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकान्त धस्माना यह तो मानते हैं कि सपनों के उत्तराखंड के लिए सत्ताधारियों ने काम नहीं किया लेकिन फिर भाजपा पर आरोप लगाते हुए प्रचंड बहुमत में भी अंदरूनी खींचतान होने की बात कहकर राजनीति करने से नहीं चूकते। 

Nitika