यूपीसीएल का लाइसेंस हुआ जारी, यूजेवीएनएल को बड़ा झटका

punjabkesari.in Wednesday, Jun 20, 2018 - 01:34 PM (IST)

देहरादून/ब्यूरो। उत्तराखंड में अब बिजली वितरण पर उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) का स्वामित्व हो गया है। यूपीसीएल को इसके लिए लाइसेंस भी जारी कर दिया है। इससे उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) को बड़ा झटका लगा है। अब तक यूजेवीएन अनाधिकृत रूप से कई जगहों पर अपनी कालोनियों में कार्मिकों और आम उपभोक्ताओं को मुफ्त विद्युत आपूर्ति करा रहा था। राज्य के उपभोक्ताओं को विद्युत आपूर्ति करने के लिए एक मात्र अधिकृत कंपनी यूपीसीएल बन गई है। यूपीसीएल को विद्युत अधिनियम 2003 के अस्तित्व में आते ही इसमें निहित धारा 12 के अनुसार सभी प्रकार के विद्युत वितरण के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता का प्रावधान लागू किया गया है। इसी क्रम में उत्तराखण्ड में विद्युत वितरण का स्वामित्व यूपीसीएल को दिया गया है। इसके लिए यूपीसीएल को लाइसेंस नंबर भी जारी कर दिया गया है।

उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग (यूईआरसी) ने मंगलवार को यूपीसीएल और यूजेवीएनएल को कड़ी फटकार लगाई है। लंबे समय से दोनों निगम आपस में स्वामित्व को लेकर लड़ रहे थे। आयोग के संज्ञान में मामला आया कि विद्युत उत्पादन कम्पनी यूजेवीएनएल अपने बिजली परियोजनाओं के निकटवर्ती क्षेत्रों में निवास कर रहे आम उपभोक्ताओं और कालोनी में रह रहे बाहरी व्यक्तियों को आपूर्ति कर रही है। आयोग ने कहा कि कोई भी उत्पादन कम्पनी बिना लाइसेंस के आपूर्ति मात्र अपने पावर प्लान्ट के ऑपरेटिंग स्टाफ, उनकी हाउसिंग कॉलोनी या टाउनशिप हाउसिंग तक ही कर सकती है। इसके बाद उपभोक्ताओं को यूपीसीएल को हस्तान्तरित किए जाने के निर्देश दिये हैं।

दस्तावेजों में चौकाने वाले तथ्य
यूजेवीएनएल अपनी यमुना वैली की डाकपत्थर कॉलोनियों में अनाधिकृत रूप से रह रहे हजारों उपभोक्ताओं को अवैध रूप से विद्युत आपूर्ति कर रहा है। जिनकी बिजली चोरी में भी सीधी संलिप्तता पाई गई। सुनवाई के दौरान आयोग ने विद्युत एक्ट के उल्लंघन एवं बिजली चोरी से संबंधित इतने संवेदनशील विषय पर यूपीसीएल एवं यूजेवीएनएल द्वारा सक्रियता से कार्य न करने और उदासीनता बरतने पर कड़ी फटकार लगाई।

निगमों की उदासीनता पर आयोग नाराज
आयोग ने कालागढ़, रामगंगा पावर हाउस की कालोनी में अनाधिकृत निवासियों और उनके द्वारा जबरन उपभोग की जा रही सुविधाओं व संसाधनों के दुरूपयोग पर कड़ा ऐतराज जताते हुए दोनों निगमों की उदासीनता की निंदा की। आयोग के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने सुनवाई के बाद दोनों निगमों के प्रबन्ध निदेशकों 30 सितंबर 2018 तक हर हाल में निर्देशों का अनुपालन करने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद भी व्यवस्था नहीं सुधरी तो प्रबंध निदेशकों के खिलाफ व्यक्तिगत कार्रवाई की जाएगी।

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