महान गणितज्ञ रामानुजन की उपलब्धियों पर पीजी कॉलेज, अगस्तयमुनि में वेबिनार का आयोजन

punjabkesari.in Wednesday, Dec 23, 2020 - 11:59 AM (IST)

 

रुद्रप्रयागः दुनिया के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के 133 वें जन्म दिवस पर राजकीय स्नातकोत्तर कॉलेज अगस्त्यमुनि में एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में गढ़वाल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ साइंस के पूर्व डीन प्रोफेसर डीएस नेगी चीफ गेस्ट रहे। वहीं इस मौके पर कॉलेज की प्रिंसिपल पुष्पा नेगी ने रामानुजन की उपलब्धियों के बारे में चर्चा की।
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रामानुजन की जीवन की उपलब्धियों और उनके ज्ञान के विरासत को लेकर वेबिनार में विस्तार से चर्चा की गई। इस वेबिनार में प्रोफेसर डीएस नेगी ने शिक्षा के विभिन्न पायदानों में गणित विषय के अध्ययन में अंतर के बारे में भी अपना विचार प्रस्तुत किया। उन्होंने छात्रों को माइंड मैपिंग के बारे में भी जानकारी दी। कॉलेज की प्रिंसिपल प्रोफेसर पुष्पा नेगी ने रामानुजन की अलग-अलग थ्योरी और रिसर्च वर्क पर अपने विचार रखे। उन्होंने छात्रों को सकारात्मक सोच के साथ शिक्षा-शोध के लिए छात्रों को प्रेरित किया। वहीं डॉक्टर वीरेन्द्र प्रसाद ने विज्ञान, तकनीकी और शिक्षा में नंबर थ्योरी के महत्व पर जानकारी दी। इस वेबिनार के तकनीकी संचालन में डॉक्टर सुधीर पेटवाल ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। रामानुजन जैसे जीनियस गणितज्ञ के योगदान को जानकर छात्र भी प्रेरित हुए।
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गौरतलब है कि श्रीनिवास रामानुजन को मैथ्स का जीनियस माना जाता है। उन्होंने बहुत कम उम्र से ही असाधारण प्रतिभा का परिचय दिया था। महज 32 साल के अपने जीवन काल में रामानुजन ने गणित की 4 हजार से ज्यादा ऐसे थ्योरम पर रिसर्च किया, जिन्हें समझने में दुनियाभर के गणितज्ञों को भी लंबा वक्त लगा था। रामानुजन की मॉक थीटा फंक्शन को 2012 में प्रोफेसर केन ओनो ने भी सही ठहराया था। अनंत की खोज करने वाले रामानुजन का नाम पूरी दुनिया में बेहद सम्मान से लिया जाता है। 16 साल की उम्र में उन्होंने लेटर के जरिए कुछ फॉर्मूले कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएच हार्डी को भेजे थे। हार्डी उनसे इतना प्रभावित हुए कि उन्होंने रामानुजन को लंदन बुला लिया और उनके मेंटर बने। दोनों ने मिलकर गणित के कई रिसर्च पेपर पब्लिश किए थे। रामानुजन रॉयल सोसायटी में भी जगह मिली और वे ट्रिनिटी कॉलेज की फेलोशिप पाने वाले पहले भारतीय भी बने।


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Nitika

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