देहरादून की सड़कों पर चलना महिलाओं के लिए जोखिमभरा

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2018 - 04:43 PM (IST)

देहरादून/ब्यूरो। क्या दून की भीड़-भाड़ और अति व्यस्ततम सड़कें भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रहीं। पिछले कुछ दिनों में यहां घटने वाली घटनाओं ने प्रशासन से लेकर सभी संवेदनशील लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। खासकर, सिटी बसों में सफर करना महिलाओं के लिए जोखिम भरा होता जा रहा है। दो दिन पहले शहर के सबसे पॉश इलाकों में से एक इलाके में महिलाओं के साथ चार युवकों ने जिस तरह से चलती बस में छेड़खानी की और विरोध करने पर महिलाओं सहित अन्य यात्रियों के साथ मारपीट की, वह इस बात की तस्दीक करता है।

दो दिन पहले आराघर जैसे इलाके में महिलाओं के साथ हुई इस घटना से राजधानी के लोगों के जेहन में सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, पुलिस ने चारों मनचलों को गिरफ्तार कर लिया, उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया। लेकिन कोटद्वार से दून आए इन युवकों के अंदर इतनी हिम्मत कहां से आई कि सवारियों से खचाखच भरी बस में वे महिलाओं से छेड़छाड़ करने लगे। उनमें कानून, समाज और परिवार का डर क्यों नहीं था, यह भी चिंता का विषय है।

महिलाओं को घूरना, राह चलती महिलाओं को इशारे करके निकल जाना तो आम बात है। लेकिन पिछले दिनों जो भी हुआ, वह शायद पहले नहीं हुआ था। दिसंबर में सिटी बस में महिला शिक्षका के साथ हुई वारदात के बाद यह दूसरी घटना है, जब सिटी बस में महिलाओं के साथ ऐसी वारदात हुई है। 

चालान तक सिमटी है पुलिस

वारदात होने के बाद पुलिस जरूर हरकत में आती है, लेकिन वारदात न हो, इसके लिए पुलिस अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं कर पाई है। पुलिस इसी बात पर अपनी पीठ थपथपाती रही है कि 2017 में पुलिस और सीपीयू की टीम ने 1048 चालान काटे हैं, जबकि आरटीओ की ओर से 469 वाहनों के चालान काटे गए और 34 सीज किए। तो क्या सिर्फ चालान काटना ही काफी है। यह रैश ड्राइविंग के खिलाफ तो हो सकता है, लेकिन महिला सुरक्षा काे लेकर पुलिस ने अब तक क्या कदम उठाए, उसके पास इसका जवाब नहीं है। 

कहने भर को हैं महिला आरक्षण सीट 

यों तो सिटी बसों में महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित हैं, लेकिन यह नाममात्र की ही हैं। निर्भया कांड के बाद सिटी बसों में महिला सुरक्षा को लेकर अलग केबिन बनाने की बात हुई थी। बसों में यह केबिन है या नहीं, सुरक्षा से संबंधित नियमों का कितना पालन हो पाता है, इसकी कभी पुलिस या प्रशासन ने जांच करने की जहमत नहीं उठाई। 

क्या कहते हैं एसपी ट्रैफिक

एसपी ट्रैफिक लोकेश्वर सिंह का कहना है कि सिटी बसों में महिलाओं के साथ हो रही बदसलूकी को लेकर सिटी बस संचालकों के साथ बैठक की गई थी। जिसमें हर तरह की सुरक्षा और नियमों को सख्ती से पालन के निर्देश दिए थे। सभी बसों और सार्वजिक वाहनों पर दो स्टीकर्स लगाये जाने अनिवार्य होंगे। वाहनों पर अलार्म सिस्टम लगाए जाने अनिर्वाय है। वाहनों में ओवर लोडिंग करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।