राम मंदिर की रेकी, खालिस्तानी कनेक्शन और साजिश की सुई- ''भगवा'' झंडे वाली गाड़ी से आया था दुसाद, कोर्ट ने नहीं दी जमानत!

punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 09:03 AM (IST)

Ayodhya News: अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान संदिग्ध गतिविधियों में पकड़े गए शंकरलाल दुसाद को कोर्ट से जमानत नहीं मिली है। आरोपी शंकरलाल राजस्थान के सीकर जिले का रहने वाला है और उस पर मंदिर परिसर की रेकी (जासूसी) करने, विदेशी कट्टरपंथियों से संपर्क रखने और खालिस्तान समर्थकों से जुड़े होने के गंभीर आरोप हैं।

क्या हुआ था 22 जनवरी को?
22 जनवरी 2024 को अयोध्या में रामलला की मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक कार्यक्रम हो रहा था। इसी दिन आरोपी शंकरलाल दुसाद, सफेद स्कॉर्पियो गाड़ी (HR 51 BX 3753) से अपने साथियों के साथ अयोध्या पहुंचा। उसके साथ अजीत शर्मा और प्रदीप पूनिया नाम के दो और लोग भी थे। भगवा झंडा लगी गाड़ी में बैठकर वह मंदिर परिसर और आसपास की गतिविधियों की चुपचाप निगरानी कर रहा था। ATS को उस पर शक हुआ और उसे तुरंत हिरासत में ले लिया गया।

FIR और ATS की कार्रवाई
19 जनवरी 2024 को इस मामले में ATS गोमतीनगर थाने में FIR दर्ज की गई। जांच में पता चला कि यह सिर्फ साधारण जासूसी नहीं थी – यह मामला सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा था।

खालिस्तानी लिंक और विदेशी कनेक्शन
पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ कि शंकरलाल दुसाद का खालिस्तानी विचारधारा से जुड़ाव था। वह विदेश में बैठे खालिस्तान समर्थकों, जैसे कि लखविंदर सिंह लांडा और गुरपतवंत सिंह पन्नू से लगातार संपर्क में था। उसे सोशल मीडिया और कॉल्स के जरिए संपर्क में रखा गया था। गुरपतवंत सिंह पन्नू ने उसे मंदिर की रेकी करने और नक्शा भेजने का निर्देश भी दिया था।

कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत?
लखनऊ की ATS स्पेशल कोर्ट ने दुसाद की जमानत याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने माना कि आरोपी की गतिविधियां गंभीर प्रकृति की हैं। यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। अभी आरोपी को रिहा करना समाज और देश के लिए खतरा हो सकता है। इसलिए कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।

ATS की सतर्कता से टली बड़ी साजिश
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का दिन धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था। लाखों श्रद्धालु अयोध्या में मौजूद थे। ऐसे समय में किसी संदिग्ध व्यक्ति का मंदिर परिसर में घूमना गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है। ATS की सतर्क निगरानी और तेज कार्रवाई से एक संभावित साजिश को समय रहते विफल कर दिया गया।


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Content Editor

Anil Kapoor

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