बदमाशों ने Umesh Pal की हत्या क्यों की?, विधायक Raju Pal मर्डर कांड की Inside Story

punjabkesari.in Saturday, Feb 25, 2023 - 03:04 PM (IST)

लखनऊ(रानू मिश्रा): बम.. बंदूक और धुंआ.. ये सीन किसी फिल्म का नहीं बल्कि उस उत्तर प्रदेश का है जहां की पुलिस मुंह से ठांय- ठांय कर बदमाशों को पकड़ने में माहिर है... ये सीन उस उत्तर प्रदेश का है जहां की सरकार राम राज्य का दावा करती है... ये सीन उस राज्य का है जहां अभी हाल ही में 33 लाख करोड़ का निवेश हुआ है... मुंह से ठांय- ठांय कर बदमाशों को पकड़ने वाली यूपी पुलिस का खुफिया तंत्र धरा का धरा रह गया जब संगम नगरी प्रयागराज में बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मुख्य इकलौते गवाह उमेश को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया।

शुक्रवार शाम करीब 6 बजे का वक्त था... और जगह थी संगम नगरी प्रयागराज... बसपा विधायक राजू पाल हत्या कांड के गवाह उमेश पाल प्रयागराज कोर्ट में गवाही देकर वापस घर लौट रहे थे... सूर्य ढलान पर था... और बदमाश घात लगाए बैठे थे... जैसे ही उमेश पाल की कार घर के पास पहुंचती है तो गनर कार का दरवाजा खोलता है.. उसी वक्त बदमाश अंधाधुंध फायरिंग कर देते हैं और बम से धुंआ- धुंआ कर देते हैं... बदमाशों के इस हमले में गवाह उमेश पाल और एक गनर की मौत हो जाती है... जबकि दूसरा गनर गंभीर रूप से घायल हो जाता है... जिसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है।

PunjabKesari

अब जरा उमेश पाल के वकील का बयान भी सुन लीजिए... जो कह रहे हैं 5 बजे तक उमेश पाल कोर्ट में ही रहे उसके बाद वो अपने घर को निकल गए। हद तो तब हो गई जब उमेश पाल को गंभीर घायल अवस्था में SRN हॉस्पिटल ले जाया गया.. लेकिन सोचिए और समझिए यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल कि हॉस्पिटल में डॉक्टर तक नहीं था। बात कानून व्यवस्था की थी तो ऐसे में भला विपक्ष भी कहां चुप बैठने वाला था... उमेश पाल की हत्या के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मामले का सीसीटीवी शेयर करते हुए ट्वीट किया और लिखा, ये है उप्र में एनकाउंटर सरकार की झूठी छवि का सच्चा एनकाउंटर, जहां इलाहाबाद में सरेआम एक हत्याकांड के गवाह सहित दो पुलिसकर्मियों को बम-गोली से भून दिया गया. उप्र की भाजपा सरकार के तहत ऐसी सुरक्षा व क़ानून-व्यवस्था में आम जनता भयभीत है।

पुलिस ने बाहुबली अतीक अहमद के दो बेटों समेत कुल 7 संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है... आशंका ये भी जताई जा रही है कि उमेश पाल को बाहुबली अतीक अहमद से पहले ही जान को खतरा था... फिल्मी अंदाज में दिनदहाड़े हुई उमेश पाल की हत्या के पीछे की कहानी को समझने के लिए आपको 19 साल पीछे चलना होगा।

क्या है राजू पाल हत्याकांड?

PunjabKesari

देश में आम चुनाव खत्म हो चुका था.. यूपी की फूलपुर लोकसभा सीट से बाहुबली नेता अतीक अहमद ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी.. इससे पहले अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक थे. लेकिन उनके सांसद बन जाने के बाद वो सीट खाली हो गई थी. कुछ दिनों बाद उपचुनाव का ऐलान हुआ तो इस सीट पर सपा ने सांसद अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ को अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन बहुजन समाज पार्टी ने अशरफ के सामने राजू पाल को मैदान में उतार दिया... जब उपचुनाव हुआ तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए बसपा प्रत्याशी राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को हरा दिया।

फिर क्या था यहीं से शुरू हो गया खूनी खेल... अपने छोटे भाई की हार अतीक को स्वीकार नहीं हुई.. और पहली बार विधायक बने राजू पाल की कुछ महीने बाद ही 25 जनवरी 2005 को दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में देवी पाल और संदीप यादव नाम के दो लोगों की भी मौत हुई थी... इस सनसनीखेज हत्याकांड में सीधे तौर पर तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ का नाम सामने आया था.. दिन दहाड़े विधायक राजू पाल की हत्या से पूरा इलाका सन्न था।

PunjabKesari

मामले में दिवंगत विधायक राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने थाना धूमनगंज में हत्या का मामला दर्ज कराया था. उस रिपोर्ट में सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ, खालिद अजीम को नामजद किया गया था. पुलिस ने FIR दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी थी.. इसी हाई प्रोफाइल मर्डर केस में उमेश पाल एक अहम चश्मदीद गवाह था. जब केस की छानबीन आगे बढ़ी तो उमेश पाल को धमकियां मिलने लगी थीं. उसने अपनी जान खतरा बताते हुए पुलिस और कोर्ट से सुरक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उमेश पाल को यूपी पुलिस की तरफ से सुरक्षा के लिए दो गनर दिए गए थे। बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड की जांच पड़ताल और छानबीन में जुटी पुलिस ने रात दिन एक कर दिया था 

PunjabKesari

6 अप्रैल 2005 को पुलिस ने इस हत्याकांड की विवेचना करने के बाद तत्कालीन सपा सांसद अतीक अहमद और उनके भाई समेत 11 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की... बाद में 12 दिसंबर 2008 को मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई.. 10 जनवरी 2009 को सीआईडी ने पांच आरोपियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किया। लेकिन विधायक राजू पाल का परिवार सीआईडी की जांच से भी नाखुश था, लिहाजा,

PunjabKesari

22 जनवरी 2016 को परिवार ने देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का फरमान सुनाया.. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजू पाल हत्याकांड में नए सिरे से मामला दर्ज किया और छाबनीन शुरू कर दी. करीब तीन साल विवेचना करने के बाद सीबीआई ने सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की.. 1 अक्टूबर 2022 को सीबीआई अदालत ने 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए। बहरहाल, प्रयागराज पुलिस का सूचना और सुरक्षा तंत्र दोनों फेल हो गए.. खुफिया एजेंसियों से लेकर जिले में तैनात पुलिस और प्रशासन के हर अधिकारी को इस बात की जानकारी थी कि उमेश की जान को लगातार अतीक गैंग से खतरा है..बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन उमेश को दो गनर दिलाने के बाद आश्वस्त हो गए कि अब कुछ नहीं होगा.. और बदमाशों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दे दिया।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Anil Kapoor

Recommended News

Related News

static