Mahakumbh 2025: संतों का 18 साल का अनोखा तप, मेला क्षेत्र में तपस्वी नगर बना आकर्षण का केंद्र
punjabkesari.in Sunday, Feb 09, 2025 - 06:05 PM (IST)
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प्रयागराज (सयैद रजा) : संगम की रेती पर ऋतुराज वसंत के आगमन के साथ महात्यागी संतों की निराली तपस्या की शुरुआत भी हो गई है। महाकुंभ में बसा तपस्वी नगर इसका केंद्र बना हुआ है। तपस्वी नगर के शिविरों में त्यागी परंपरा के संत पंच अग्नि तपस्या में लीन हैं। अग्नि के घेरे में अन्न-जल का परित्याग तक लोक कल्याण के लिए संत माघी पूर्णिमा तक सूर्योदय से सूर्यास्त तक तप करेंगे। जेष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की दशमी यानी गंगा दशहरा पर ये तपस्या खत्म होगी। 18 वर्ष में एक संत की यह तपस्या पूरी होती है। हर 3 साल का कोर्स होता है। 18वें साल में उपाधि दी जाती है।
मेला क्षेत्र के खाक चौक के तपस्वीनगर में संत अग्नि तपस्या कर रहे है । एक साथ कई संत अग्नि के घेरे में सिर पर घड़ा रखकर ध्यान मग्न नजर आए। वसंत पंचमी पर संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद सर्व मंगल और लोक कल्याण की कामना से तपस्वी संतों ने पंच अग्नि साधना आरंभ की है। इस अनोखी साधना को देखने के लिए श्रद्धालु दूर दूर से आते है
तपस्वी संत तुलसी दास बताते हैं कि संगम पर माघ मेले में आने वाले संतों ने पूरे जीव जगत के कल्याण के लिए पंच अग्नि तप का संकल्प लिया है। इस तपस्या के दौरान सुबह से शाम तक संत नियमित साधना कर रहे है। हालांकि सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक धुनि के किनारे मंत्र जपते नज़र आएंगे। गंगा दशहरा पर हवन- पूजन कर धुनी को गंगा में विसर्जित किया जाएगा। तपस्या किसी कारण से अगर भंग हो जाती है तो अगले वर्ष नए सिरे से संकल्प से उसे आरंभ करना होता है। तस्वीरों में आप साफ़ देख सकते हैं की भारी संख्या में साधु संत साधना में लीन है और देश दुनिया में शांति बनी रहे उसके लिए यह एक अनोखी साधना कर रहे हैं।