बाबरी मस्जिद विध्वंस की 32वीं बरसी भारत- नेपाल सीमा पर बढ़ाई गई सख्ती, सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर
punjabkesari.in Friday, Dec 06, 2024 - 01:06 PM (IST)
महराजगंज, (मार्तण्ड गुप्ता): बाबरी मस्जिद की 32वीं बरसी के अवसर पर उत्तर प्रदेश पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड में है। इसी कड़ी में है अयोध्या से लेकर मथुरा मेरठ समेत सभी जिलों में चप्पे चप्पे पर पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। बात करे महराजगंज जनपद की तो 6 दिसंबर को लेकर पुलिस प्रशासन यहां पर भी अलर्ट है।
पुलिस अधीक्षक सोमेंद्र मीणा ने सभी थाना प्रभारी को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं । भारत नेपाल के सोनौली सीमा सबसे संवेदनशील सीमा मानी जाती है जिसको देखते हुए एसएसबी के जवान मुस्तैद दिख रहे हैं और नेपाल से हर आने वाले लोगों के आई कार्ड की जांच के बाद ही उन्हें भारत में प्रवेश करने दिया जा रहा है । साथ ही साथ उनके सामानों की जांच डॉग स्क्वायड से की जा रही है और जवानों के द्वारा सीसीटीवी कैमरे से बॉर्डर की निगरानी की जा रही है जिससे कोई भी देश विरोधी तत्व भारत में ना प्रवेश कर सके । आपको बता दे की 6 दिसंबर के मद्देनजर भारत नेपाल की खुली सीमा है उसे पर एसएसबी के जवान पेट्रोलिंग भी करते नज़र आ रहे आज 6 दिसंबर है, वह दिन जब 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था। इस दिन को कुछ लोग बाबारी मस्जिद विध्वंस के रूप में मनाते हैं।
गौरतलब है कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस 6 दिसंबर 1992 को विश्व हिंदू परिषद और संबद्ध संगठनों के कार्यकर्ताओं के एक बड़े समूह द्वारा किया गया था । अयोध्या शहर में 16 वीं सदी की बाबरी मस्जिद लंबे समय से सामाजिक-राजनीतिक विवाद का विषय रही है और हिंदू राष्ट्रवादी संगठनों द्वारा आयोजित एक राजनीतिक रैली के हिंसक हो जाने के बाद इसे निशाना बनाया गया। हिंदू परंपरा में, अयोध्या शहर राम का जन्मस्थान है । 16वीं शताब्दी में एक मुगल कमांडर मीर बाक़ी ने एक मस्जिद का निर्माण किया था, जिसे बाबरी मस्जिद के रूप में जाना जाता है।
कुछ हिंदुओं द्वारा राम जन्मभूमि , या राम के जन्मस्थान के रूप में पहचाने गए स्थान पर।भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का कहना है कि मस्जिद का निर्माण उस भूमि पर किया गया था जहाँ पहले एक गैर-इस्लामिक संरचना मौजूद थी।1980 के दशक में, विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपनी राजनीतिक आवाज़ के साथ, इस स्थल पर राम को समर्पित एक मंदिर के निर्माण के लिए एक अभियान शुरू किया। इस आंदोलन के एक हिस्से के रूप में कई रैलियां और मार्च आयोजित किए गए, जिनमें लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में राम रथ यात्रा भी शामिल थी । 6 दिसंबर को उग्र भीड़ ने विवादित हिस्से को गिराया दिया। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला आया। कोर्ट के आदेश अयोध्या में राम मंदिर बना रहा है।