हनुमान धारा मंदिर की है बात ही कुछ निराली, लंका दहन के बाद इस स्थान पर हनुमान जी के शरीर की जलन हुई थी शांत
punjabkesari.in Saturday, Apr 08, 2023 - 04:16 PM (IST)
चित्रकूट(वीरेद्र शुक्ला): उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में चित्रकूट (Chitrakoot) जिले के मप्र सीमांतर्गत स्थित हनुमान धारा (Hanuman Dhara) का अपना महात्म्य है। यहां विंध्य पर्वत के मध्य स्थित हनुमान मंदिर (Hanuman Temple) की छटा निराली है। हनुमान जी (Hanumanji) की मूर्ति पर बाईं भुजा में लगातार जलप्रवाहित होता रहता है। शीतल जल का पहाड़ की चोटी से अनवरत प्रवाह होता है। इसी जल को लोग श्रद्धापूर्वक पीकर जीवन धन्य बनाते हैं। हनुमानजी (Hanumanji) को स्पर्शकर बहने की वजह से इस धारा का नाम हनुमान धारा पड़ा। माना जाता है कि इस जल को पीने से मान्यताएं पूरी होती हैं। धारा का जल (Water) पाताल तक जाता है, जिससे इसे पाताल गंगा (Ganga) भी कहते हैं।
तीर्थक्षेत्र से जुड़ी हैं मान्यताएं
मान्यता है कि प्रभु राम का जब राज्याभिषेक हुआ तो हनुमान जी ने भगवान से कहा कि लंका दहन के बाद से ही उनको तीव्र ऊष्मा और गर्मी का अनुभव हो रहा है। इस पर भगवान राम ने उनको चित्रकूट में विंध्य पर्वत जाने का सलाह दी। हनुमानजी ने यहां आकर आराधना की, जिसके बाद पर्वत से एक शीतल जलधारा उत्पन्न हुई, जिससे उनको शीतलता का अनुभव हुआ। एक अन्य कथा भी प्रचलित है, जिसके अनुसार लंकादहन के बाद हनुमानजी की पूंछ की आग बुझाने के लिए प्रभु राम ने एक पर्वत पर तीर मारा था, जिससे जलधारा फूट पड़ी थी।
सीता रसोई जहां माता सीता ने पांच ऋषियों को खिलाए थे कन्दमूल फल
हनुमान धारा के 150 सीढ़ी ऊपर जाने पर सीता रसोई स्थित है। पुजारी ने बताया कि भगवान राम के वनवास के दौरान पांच मुनि आए थे, जिनको सीताजी ने यहां पर कंदमूल फल खिलाए थे। विंध्य पर्वत में विराजमान ये हनुमान मंदिर हनुमानधारा के नाम से जाना जाता है यहां पैदल जाने के लिए 618 सीढियां है। मगर अब रोपवे बन जाने से इससे भी श्रद्धालु लोग दर्शन के लिए जाते हैं।