दलित वोट के लिए अखिलेश ने बदली रणनीति, मायावती ने बढाई सपा-भाजपा की टेंशन
punjabkesari.in Monday, Oct 13, 2025 - 01:24 PM (IST)
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमो मायावती ने कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर राजधानी लखनऊ में जनसभा करके भाजपा और सपा की टेंशन बड़ा दी है। 2027 के विधानसभा चुनाव में दमदारी से उतरने का संकेत दे दिया है। 22% दलित वोटर पर पहले बीजेपी और सपा अपना दावा ठोक रहे हैं। लेकिन मायावती के सक्रिय होने से दोनों पार्टियों के लिए 2027 की राहत अब कठिन हो गई है। ऐसे में अखिलेश यादव ने अपने नेताओं को दलित में अपनी पकड़ मजबूत करने के संदेश दिए हैं।
भाजपा-बसपा के बीच सांठगांठ- अखिलेश
कांशीराम के परिनिर्वाण पर हुई रैली के बाद से समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने न केवल भाजपा-बसपा के बीच सांठगांठ का आरोप लगाया, बल्कि यह भी कहा कि “आकाश आनंद की जरूरत भाजपा को ज्यादा है।
बीएसपी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने की तैयारी में अखिलेश
यह बयान इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि आकाश आनंद, बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे और उत्तराधिकारी के रूप में देखे जाते हैं। सपा और बसपा के बीच वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन हुआ था, जिसके बाद से अखिलेश यादव और मायावती एक-दूसरे पर सीधा हमला करने से बचते रहे। लेकिन अब सपा प्रमुख का यह रुख दिखा रहा है कि पार्टी बहुजन समाज पार्टी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने की तैयारी में है।
सपा ने 2024 लोकसभा चुनाव में दलित वोटों में अच्छी पकड़ बनाई
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सपा को पता है — 2027 के विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंचने के लिए दलित वोट निर्णायक भूमिका निभाएंगे। कभी बसपा का यह परंपरागत वोट बैंक रहा है, लेकिन भाजपा ने हाल के चुनावों में इसमें सेंध लगाई। वहीं, सपा ने 2024 लोकसभा चुनाव में दलित वोटों में अच्छी पकड़ दिखाई।
वाल्मीकि युवक की हत्या मामला अखिलेश ने उठाया
इसी के चलते अखिलेश यादव ने पार्टी कार्यकर्ताओं को दलित समाज के बीच सक्रिय रहने और अत्याचार की घटनाओं को जोर-शोर से उठाने का निर्देश दिया है। हाल ही में रायबरेली में वाल्मीकि युवक की हत्या का मामला इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। हालांकि, आकाश आनंद पर की गई अखिलेश की टिप्पणी पर भाजपा की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

