इलाहाबाद हाईकोर्ट का अहम आदेश, कहा- दूसरी पत्नी भी भरण पोषण की हकदार

punjabkesari.in Tuesday, Apr 25, 2023 - 03:27 PM (IST)

प्रयागराज: लिव-इन में रह रही महिला द्वारा भरण-पोषण की मांग के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि निश्चित रूप से लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाली महिला भरण-पोषण की हकदार है। हालांकि कानूनी रूप से विवाहित हिंदू पुरुष या पहले से विवाहित हिंदू और मुस्लिम महिलाएं किसी अन्य के साथ लिव-इन में रहते हुए भरण- पोषण का दावा नहीं कर सकती हैं, लेकिन अपनी वैवाहिक स्थिति छुपाकर दूसरा विवाह करने वाले पुरुष से उसकी लिव-इन पार्टनर भरण पोषण का दावा कर सकती है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति उमेश चंद्र शर्मा ने श्रीमती सोनिया श्रीवास्तव व अन्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। याची ने परिवार न्यायालय, कानपुर नगर द्वारा पारित आदेश को रद्द करने और अंतरिम रख रखाव के लिए धनराशि भुगतान के लिए उचित दिशा निर्देशों की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

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याची के साथ लिव- इन में रहा युवक
गौरतलब है कि विपक्षी रमेश चंद्र शर्मा खुद को विधुर बता कर याची के साथ लिव- इन में रहा और बाद में दोनों ने विवाह कर लिया, जिसके बाद उन्हें एक बेटी पैदा हुई। इसके बाद विपक्षी ने याची को खुद ही अपनी पहली पत्नी के बारे में बताया, जिसके परिणामस्वरूप याची ने सितंबर 2007 में विपक्षी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई और परिवार न्यायालय के समक्ष दस्तावेजों के आधार पर भरण-पोषण की मांग की। मौजूदा याचिका पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों के निस्तारण हेतु डीएनए का सैंपल लेना कोई अपराध नहीं है।

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कोर्ट ने दिया ये आदेश
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि सामा अंत में कोर्ट ने विपक्षी को डीएनए नमूना देने व उसके लिए आवश्यक शुल्क जमा करने के लिए एक महीने का अतिरिक्त समय प्रदान करते हुए परिवार न्यायालय को यह निर्देश दिया कि अगर उपरोक्त निर्धारित अवधि के भीतर विपक्षी द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है तो परिवार न्यायालय विपक्षी के खिलाफ प्रतिकूल निष्कर्ष निकालने के लिए स्वतंत्र होगा।


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Content Writer

Ajay kumar

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