43 साल बाद न्याय! इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के दोषियों को सुनाई उम्रकैद की सजा, अंधविश्वास की साजिश बेनकाब

punjabkesari.in Thursday, Oct 02, 2025 - 09:59 AM (IST)

Prayagraj News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक 43 साल पुराने हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 1982 में हुई कुसुमा देवी की हत्या के मामले में उसके पति अवधेश कुमार और एक अन्य आरोपी माता प्रसाद को उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही दोनों दोषियों को दो हफ्तों के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया है।

पहले निचली अदालत ने किया था बरी, अब हाईकोर्ट ने बदला फैसला
इस मामले में 1984 में निचली अदालत ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था, यानी उन्हें निर्दोष मानकर छोड़ दिया गया था। लेकिन अब हाईकोर्ट की जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस हरवीर सिंह की खंडपीठ ने पुराने फैसले को पलटते हुए दोनों को दोषी ठहराया है।

क्या था पूरा मामला?
यह घटना 6 अगस्त 1982 की है। अवधेश कुमार पर आरोप है कि उसका अपनी भाभी (छोटे भाई की पत्नी) से अवैध संबंध था। जब उसकी पत्नी कुसुमा देवी ने इसका विरोध किया, तो अवधेश और उसके साथियों ने मिलकर उसकी गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद आरोपियों ने कहा कि कुसुमा पर भूत-प्रेत का साया है, और उसे झाड़-फूंक के बहाने मार डाला। उसी रात शव को जल्दबाजी में जला दिया गया, बिना किसी को बताए।

गवाहों ने क्या कहा?
दो गवाहों ने कोर्ट में बताया कि उन्होंने देखा था कि कुसुमा की भूत भगाने के नाम पर गला घोंटकर हत्या की गई थी। हत्या के बाद ना तो पुलिस को सूचना दी गई और ना ही परिवार को सीधे शव को जला दिया गया, जिससे यह साफ होता है कि हत्या को छिपाने की कोशिश की गई।

अदालत ने अंधविश्वास को ठहराया जिम्मेदार
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह घटना अंधविश्वास का एक गंभीर उदाहरण है। कोर्ट ने टिप्पणी की कि ऐसी सामाजिक बुराइयों को जड़ से खत्म करना जरूरी है। समाज को इसे पूरी तरह से नकारना चाहिए।

क्या कहा कोर्ट ने?
गवाहों के बयान, साक्ष्य और आरोपियों के व्यवहार को देखते हुए कोर्ट ने माना कि हत्या की साजिश पहले से थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि हत्या को भूत भगाने का रूप देकर छिपाने की कोशिश की गई। यह फैसला सालों बाद न्याय दिलाने का एक बड़ा उदाहरण है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Anil Kapoor

Related News

static