24 का चक्रव्यूहः प्रत्याशियों ही नहीं प्रमुख नेताओं के लिए प्रतिष्ठा बनी बदायूं संसदीय सीट

punjabkesari.in Saturday, May 04, 2024 - 05:57 PM (IST)

बदायूंः बदायूं संसदीय सीट भाजपा और सपा के प्रत्याशियों के साथ दोनों दलों के प्रमुख नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई है। भाजपा प्रत्याशी दुर्विजय सिंह शाक्य के समर्थन में प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री तक यहां आकर जनसभा कर चुके हैं। बसपा प्रमुख मायावती भी अपने प्रत्याशी मुस्लिम खान के लिए माहौल बनाने आ चुकी हैं। सपा नेता शिवपाल सिंह तो अपने बेटे आदित्य यादव को जिताने के लिए डेरा डाले हैं, तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी जोश भर गए हैं। दोनों ओर से एक से एक पैने चुनावी तीर छोड़े जा रहे हैं।

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समाजवादी पार्टी की पारिवारिक सीट रही बदायूं 
समाजवादी पार्टी के लिए बदायूं संसदीय सीट पारिवारिक सीट रही है। बदायूं लोकसभा सीट से धर्मेंद्र यादव दो बार सांसद रहे हैं। इस लोकसभा सीट के सहसवान और गुन्नौर विधानसभा सीट से सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जीत दर्ज कर मुख्यमंत्री रह चुके हैं। 2019 में भाजपा की डॉ. संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को हराकर सीट सपा से छीन ली थी। 2024 में इस सीट को दोबारा हासिल करने के लिए समाजवादी पार्टी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए है। सपा ने दिग्गज नेता शिवपाल सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन कुछ दिनों बाद शिवपाल के बेटे आदित्य यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया। बेटे को जिताने के लिए शिवपाल मशक्कत करते नजर आ रहे हैं। अखिलेश यादव ने जनसभा में भाजपा पर महंगाई को लेकर जमकर तीरे छोड़े।

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सीट पर कब्जा बरकरार रखना चाहती है भाजपा 
उधर, भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहती है। भाजपा की ओर से अब तक डिप्टी मौर्य सीएम ब्रजेश पाठक, केशव प्रसाद और स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो चुनावी सभाएं कर हैं। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह की भी रैली हो चुकी है। बरेली के देवचरा में प्रधानमंत्री मोदी ने रैली कर बदायूं का चुनावी माहौल साधने का प्रयास किया था।

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बसपा ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय 
इस मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने के लिए बसपा भी कोई कोर कसर छोड़ना चाहती। दो बार पार्टी प्रत्याशी यहां दूसरे नंबर पर रह चुके हैं। इसके साथ ही बसपा अध्यक्ष मायावती भी बिल्सी से चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बन चुकी हैं। उन्होंने भी अपने परंपरागत वोट और मुस्लिम मतदाताओं के दम पर प्रत्याशी को मैदान में उतारा है। मायावती इस्लामनगर में चुनावी रैली कर चुकी हैं। स्थिति ऐसी बन चुकी है कि उम्मीदवार चुनावी मैदान में सपा-भाजपा के दिग्गज नेता ज्यादा जोर लगाए हैं। गुरुवार को चुनावी सभा में गृह मंत्री अमित शाह सपा और कांग्रेस को परिवारवाद से जुड़ी और आतंकवाद तथा गुंडागर्दी को बढ़ावा देने वाली पार्टी बता चुके हैं। इसके जवाब में अखिलेश ने भाजपा पर निशाना साधने के साथ ही सरकार बनने पर कर्जमाफी, मुफ्त डाटा, स्टेडियम, नौकरियों का लॉलीपॉप दिया था। मायावती भी अपनी सभा में सपा और भाजपा पर सियासी तीर चलाने में पीछे नहीं रही थीं।


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Content Writer

Ajay kumar

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