UP में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा दे रही योगी सरकार, अब कोरिया, श्रीलंका और जापान के पर्यटकों को उन्हीं की भाषा में लुभाएगा बौद्ध सर्किट
punjabkesari.in Saturday, Aug 20, 2022 - 06:41 PM (IST)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की पहल के फलस्वरूप कोरिया, श्रीलंका और जापान के पर्यटकों को अब उन्हीं की भाषा में बौद्ध सर्किट के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी। इससे बौद्ध सर्किट सहित छह जिलों के ओडीओपी उत्पादों की भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग होगी। उत्तर प्रदेश में बौद्ध स्थलों से जुड़ी पुस्तक ‘द पाथ' का कोरियन, सिंहली और जापानी भाषा में अनुवाद हो चुका है। इसमें प्राचीन बौद्ध स्थलों की पूरी जानकारी के अलावा इतिहास और भूगोल की भी जानकारी दी गयी है।
दुनिया को शांति और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले गौतम बुद्ध ने प्रदेश के सारनाथ में ही धर्मचक्र प्रवर्तन का पहला उपदेश दिया था। इसके अलावा कुशीनगर में भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली भी है। भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थलों को संवारने-संजोने पर योगी सरकार का विशेष ध्यान है। इस कड़ी में सरकार एक कदम और बढ़ाते हुए बौद्ध सर्किट से जुड़े साहित्य का तीन भाषाओं में अनुवाद करा चुकी है। इस बारे में उत्तर प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक मुकेश मेश्राम ने कहा, ‘‘प्रदेश में बौद्ध सर्किट के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तक ‘द पाथ' हिंदी और अंग्रेजी में हमारे पास उपलब्ध है। श्रीलंका, जापान और कोरिया से काफी संख्या में पर्यटक उत्तर प्रदेश आते हैं। इस पुस्तक के अनुवाद का उद्देश्य है कि इन देशों से आने वाले पर्यटकों को उनकी भाषा में सही और पूरी जानकारी मिले।''
उत्तर प्रदेश पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की ओर से श्रीलंका, कोरिया और जापान के पर्यटकों को यह पुस्तक भेंट स्वरूप दी जायेगी। बौद्ध सर्किट के यह स्थल के-3 (कपिलवस्तु, कौशाम्बी और कुशीनगर) और एस-3 (सारनाथ, श्रावस्ती और संकिसा) हैं। सरकार ने पिछले पांच वर्षों में इन स्थलों के सुन्दरीकरण और विकास पर विशेष ध्यान दिया है। इसका नतीजा है कि इन स्थलों की पहचान आज वैश्विक पर्यटन स्थल के तौर पर हुई है। इससे प्रदेश में पर्यटकों की आवक भी बढ़ी है।
विभाग का कहना है कि इस पुस्तक में एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी) के छह उत्पादों की खूबियों के बारे में भी पूरी जानकारी दी गयी है। इन उत्पादों में अपनी विशेष खुशबू की वजह से पहचाने जाने वाले सिद्धार्थनगर का काला नमक चावल, सदियों से अपनी कढ़ुआ कारीगरी के लिए विश्व प्रसिद्ध वाराणसी की सिल्क साड़ी, जंगली घास फूस से बनीं आकर्षक वस्तुएं बनाने के लिए मशहूर श्रावस्ती का जनजातीय शिल्प, पीतल और लकड़ी की बनी डाइयों से प्रिंटिंग के लिए मशहूर फरूर्खाबाद की ब्लाक प्रिंटिंग, केले के पौधे के रेशे से हस्तशिल्प बनाने में ख्याति प्राप्त कुशीनगर का केला फाइबर उत्पाद और कौशाम्बी के खाद्य प्रसंस्करण (केला) उत्पाद शामिल है। पुस्तक में इन सबके विषय में सिंहली, कोरियन और जैपनीज भाषा में भी जानकारी मिलेगी।