भीख मांगने वाले बच्चों की निगरानी करेगा बाल संरक्षण आयोग, कुपोषित बच्चों को सही इलाज की भी चल रही कवायद

punjabkesari.in Tuesday, Jan 24, 2023 - 06:05 PM (IST)

लखनऊः उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग राज्य के गरीब बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा के संबंध में एक प्रस्ताव तैयार किया है। राजधानी समेत सभी बड़े शहरों में भीख मांगने वाले बच्चों की उंगलियों की छाप लेकर उसका बायोमीट्रिक से मिलान किया जाएगा। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि उस बच्चे का आधार कार्ड बना है या नहीं। अगर उसका आधार कार्ड बना है तो यह ट्रेस करना आसान हो जाएगा कि बच्चा कहीं तस्करों के चंगुल में तो नहीं है।

बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्ती के लिए चलाया जाएगा अभियानः डॉ. शुचिता चतुर्वेदी
आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने बताया कि बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त कराने के लिए बहुत जल्दी ही अभियान शुरू किया जाएगा। इसमें लोगों को भी जागरूक किया जाएगा कि भिक्षा देना अपराध है। चौराहों पर एलईडी वैन खड़ी की जाएंगी, जिसमें छोटी-छोटी फिल्मों के जरिये लोगों को बताया जाएगा कि बच्चों को भीख देकर हम खुद उनके भविष्य को बर्बाद कर रहे हैं।

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हेल्पलाइन सेवा शुरू करेगा आयोग
आयोग बच्चों के लिए बहुत जल्द एक इसलिए हेल्पलाइन सेवा भी शुरू करने की तैयारी में है। एक व्हाट्सएप नम्बर जारी किया जाएगा। इस नंबर पर बच्चा खुद भी शिकायत कर सकता है। कोई भी बच्चे के बारे में जानकारी दे सकता है। इस हेल्पलाइन के जरिये बच्चों के साथ होने वाले शोषण की शिकायत भी की जा सकती है। कोई बच्चा अगर डिप्रेशन में चला गया है, तो मां-बाप इस हेल्पलाइन से उसकी काउंसलिंग कराई जाएगी।

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मेलों और पर्यटन स्थलों पर भी हेल्प डेस्कः
बच्चों की सुरक्षा का सबसे बड़ा संकट मेलों और पर्यटन स्थलों पर होता है। इसलिए ऐसे स्थानों पर भी हेल्प डेस्क रहेगी। शिकायत मिलते ही हेल्प डेस्क सक्रिय हो जाएगी।

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स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का भी होगा निदान
गरीब बच्चो के सामने स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी है। इसकी योजना भी तैयार हो गई है। बच्चों का सौ फीसदी टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा। कुपोषण के शिकार बच्चों को जिला अस्पतालों के पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाएगा। डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि पोषण पुनर्वास में बच्चों को भर्ती कराने के मामले में सबसे बड़ी समस्या यह आती है कि वहां बच्चे के साथ परिवार के एक सदस्य का रहना बहुत जरूरी होता है। ग्रामीण इलाकों के बच्चों के परिवार के लोग कुपोषित बच्चे के साथ अस्पताल में नहीं रह काउंसिलिंग कराई जाएगी। पाते, क्योंकि एक तरफ दूरी की समस्या होती है तो वहीं अस्पताल में रुकने पर उनकी आमदनी भी बंद हो जाती है। इससे बच्चे को समुचित इलाज नहीं मिल पाता।


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Content Writer

Ajay kumar

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