बरेली पोस्टर विवाद में सियासी हलचल! कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और सपा MLC शाहनवाज खान हाउस अरेस्ट, कहा- ‘हम मोहब्बत के दूत हैं’
punjabkesari.in Wednesday, Oct 01, 2025 - 04:15 PM (IST)

सहारनपुर/बरेली: बरेली में "I Love मोहम्मद" पोस्टर को लेकर भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इसी क्रम में बरेली जाने की तैयारी कर रहे कांग्रेस सांसद इमरान मसूद और सपा एमएलसी शाहनवाज खान को प्रशासन ने बुधवार सुबह हाउस अरेस्ट कर दिया। प्रशासन ने इसे शांति व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता बताया है, जबकि कांग्रेस सांसद ने इसे धर्म आधारित कार्रवाई और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया है।
प्रशासन का कदम: सुरक्षा कारणों से रोका गया दौरा
LIU (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन ने यह निर्णय लिया। दोनों नेताओं के आवासों पर मंगलवार रात से ही भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। हर आने-जाने वाले पर निगरानी रखी जा रही है और किसी भी बाहरी व्यक्ति को अनुमति के बिना प्रवेश नहीं दिया जा रहा। प्रशासन का कहना है कि बरेली में पहले से तनावपूर्ण माहौल है, और नेताओं की उपस्थिति से स्थिति और बिगड़ सकती थी। इसलिए एहतियातन कार्रवाई की गई।
इमरान मसूद का आरोप- "धर्म देखकर हो रही कार्रवाई"
हाउस अरेस्ट के बाद मीडिया से बात करते हुए सांसद इमरान मसूद ने कहा, "मेरे खिलाफ धर्म देखकर कार्रवाई हो रही है। हम शांति के दूत हैं, लेकिन सरकार हमारी हर गतिविधि पर रोक लगा रही है। यह चुनावी डर है, सरकार 2027 से घबराई हुई है।" उन्होंने आगे कहा कि, "जब फतेहपुर में मजार पर अराजकता फैलाई गई, तो कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन जब हम मोहब्बत की बात करने निकलते हैं, तो हमें घर में बंद कर दिया जाता है।"
सांसद ने मुस्लिम समुदाय से की अपील
इमरान मसूद ने अपने एक बयान में मुस्लिम समुदाय से अपील की कि वे नमाज के बाद प्रदर्शन और हंगामों से दूरी बनाए रखें। उन्होंने कहा, "मस्जिदें इबादत के लिए हैं, हिंसा के लिए नहीं। धर्म का इस्तेमाल राजनीतिक हिंसा के लिए न किया जाए।"
प्रशासन सख्त, हर गतिविधि पर रखी जा रही नजर
बरेली और सहारनपुर प्रशासन ने दोनों नेताओं की गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए रखी है। अधिकारियों का कहना है कि स्थिति संवेदनशील है और किसी भी भड़काऊ गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है और विपक्षी दलों ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन बताया है।