इलाहाबाद HC का अहम फैसला: प्रेम संबंधों में सहमति से बने शारीरिक संबंध दुष्कर्म नहीं
punjabkesari.in Saturday, Sep 13, 2025 - 08:46 PM (IST)

Prayagraj News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रेम संबंधों के दौरान सहमति से बने शारीरिक संबंधों को लेकर एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि कोई महिला शुरू से यह जानती है कि सामाजिक या जातिगत कारणों से शादी संभव नहीं है, फिर भी वह वर्षों तक सहमति से संबंध बनाए रखती है, तो इसे दुष्कर्म (रेप) नहीं माना जा सकता। यह निर्णय जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल की एकल पीठ ने दिया, जब महोबा जिले की एक महिला द्वारा दाखिल याचिका को खारिज किया गया।
क्या था मामला?
याचिकाकर्ता महिला ने अपने सहकर्मी लेखपाल पर शादी का झांसा देकर दुष्कर्म करने और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। महिला ने आरोप लगाया कि वर्ष 2019 में आरोपी ने जन्मदिन की पार्टी के बहाने उसे घर बुलाया और नशीला पदार्थ पिलाकर उसके साथ बलात्कार किया। इसके बाद वीडियो बनाकर ब्लैकमेल करने का भी आरोप लगाया गया। महिला का यह भी कहना है कि आरोपी ने शादी का वादा किया, लेकिन चार साल बाद जातिगत तानों के साथ शादी से इंकार कर दिया।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि महिला को पहले से यह जानकारी थी कि सामाजिक या जातिगत कारणों से शादी संभव नहीं है, तो फिर लंबे समय तक सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंधों को दुष्कर्म नहीं माना जा सकता।
आरोपी की ओर से क्या कहा गया?
आरोपी के वकील ने कोर्ट में बताया कि महिला ने स्वयं थाना और पुलिस अधीक्षक को लिखित में कार्रवाई न करने की बात कही थी। उन्होंने यह भी कहा कि जब आरोपी ने महिला से 2 लाख रुपये उधार लौटाने की मांग की, तभी महिला ने यह परिवाद दाखिल किया।
निचली अदालत का फैसला भी बरकरार
इससे पहले एससी-एसटी विशेष अदालत ने भी महिला का परिवाद खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट ने सभी तथ्यों और परिस्थितियों का अध्ययन करने के बाद विशेष अदालत के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया।