रक्षाबंधन पर्व पर भी आधुनिकता का प्रभाव: डॉ.मुकुंद दुबे

punjabkesari.in Monday, Aug 03, 2020 - 12:55 PM (IST)

प्रयागराज: वैज्ञानिक एवं प्रचार-प्रसार प्रभारी वन अनुसंधान केन्द्र के डा. कुमुद दुबे ने बताया कि मौजूदा समय में राखियां स्टेटस आफ सिंबल बन गयी हैं। रक्षाबंधन पर्व पर भौतिकतावाद हावी हो रहा है। यह पर्व भाई बहन सच्चे प्रेम के प्रतीक है लेकिन अब पैसा प्यार पर हावी हो गया है। बहन कच्चे धागे की डोर कलाई पर बांधती थी और भाई उसकी रक्षा की कसम खाते थे। लेकिन बदलते समय के साथ पर्व में भी बहुत बदलाव देखने का मिल रहा है।
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कुमुद दुब कहा कि अमीर लोग बच्चों को राखियों के रूप में महंगी घडियां सोने चादी के ब्रेसलेट आदि दिलवाना पसंद करते हैं। बहने भाई को मिठाई के बजाए बर्गर, पिज्जा एवं मेवे पैकेट थमा रही हैं तो भाई उनको मंहगे तोहफे भेट करते हैं। उन्होने कहा कि आज बहन भाई के कलाई पर धागा बांध कर अपनी रक्षा का ही वचन नहीं लेती वरन कीमती तोहफे की उम्मीद रखती है। डा. कुमुद दुबे ने कहा कि समाज में नए-नए अपराध पनप रहे हैं। ऐसी विषम परिस्थितियों में यदि बहन की समस्त बाधाओं से रक्षा का संकल्प लिया जाए तो समाज अपराध मुक्त हो सकता है। इसके लिए यह भी आवश्यक है कि अपनी बहन की रक्षा के साथ हम सभी की बहनों की रक्षा का भी संकल्प लें। इस प्रकार यह पर्व भारत की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक परंपरा का संकल्प दिवस बनकर एक नए युग में प्रवेश करा सकता है। 

उन्होंने कहा कि आज जरूरत है दायित्वों से बंधी राखी का सम्मान करने की। क्योंकि राखी का रिश्ता महज कच्चे धागों की परंपरा नहीं है। लेन-देन की परंपरा में प्यार का कोई मूल्य भी नहीं है। बल्कि जहां लेन-देन की परंपरा होती है वहां प्यार टिक नहीं सकता। कथाएं बताती हैं कि पहले खतरों के बीच फंसी बहन का साया जब भी भाई को पुकारता था, तो दुनियां की हर ताकत से लड़ कर भी भाई उसे सुरक्षा देने दौड़ पड़ता था और उसकी राखी का मान रखता था। आज भातृत्व की सीमाओं को बहन फिर चुनौती दे रही है, क्योंकि उसके उम्र का हर पड़ाव असुरक्षित है। 


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Edited By

Ramkesh

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