तेल माफिया का फर्जी भौकाल: खुद पर करवाया बम हमला, गनर पाने के लिए रचा फिल्मी ड्रामा — राजू पाल केस का निकला झूठा गवाह!
punjabkesari.in Sunday, Sep 28, 2025 - 01:26 PM (IST)
Prayagraj News: यह मामला सुन कर भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। शहर में ऐसे अपराधी सक्रिय हैं जो कानून को चुनौती देते हैं। एक तेल टैंकर माफिया गुड्डू पाल नाम का व्यक्ति, जिसने खुद को राजू पाल हत्याकांड का गवाह बताकर सरकारी सुरक्षा ली थी, अब उसे फर्जीवाड़े और धमकी-हैकड़ी की जुर्म में गिरफ्तार किया गया है। कथित तौर पर जब उसकी सुरक्षा हटा दी गई, तो उसने खुद पर बम हमला करवा लिया ताकि वह फिर से सुरक्षा दिलवा सके। लेकिन अब पुलिस ने उसकी साजिश पकड़ी है।
अपराधों का जाल
मिली जानकारी के मुताबिक, गुड्डू पाल ने कभी तेल टैंकरों से तेल चोरी करने का कारोबार चलाया। उसने नेताओं और पुलिस वालों के सहयोग से खुद को एक बड़े अपराधी के वकील, 'गवाह' की भूमिका दी थी। राजू पाल हत्या केस में गवाह बताने के बाद उसे सरकारी सुरक्षा (गनर) दी गई थी। जब सुरक्षा हटाई गई, तो उसने खुद को बम धमाके का शिकार बताकर फिर से सुरक्षा लेने की हिमाकत की।
खुद कराई हमले की साजिश
देर शाम उसने खुद को बम धमाके का शिकार बताया, जिसमें बंदूक चलने की बात भी कही। यह कहानी मीडिया और सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। पुलिस ने जांच कर पाया कि इस पूरे मामले की योजना खुद गुड्डू पाल ने बनाई थी। चोरी और फर्जी सुरक्षा के स्तर पर उसने जो धोखाधड़ी की थी, वह अब उजागर हो गई है।
साजिश में बेटे की भूमिका
पुलिस की पूछताछ में पता चला कि गुड्डू के बेटे नितिन पाल (मन्ना) तथा उसके साथी शाण्डा, राहुल काना और बंटी ने इस हमले की योजना बनाई। गुड्डू ने शाण्डा को बम की व्यवस्था करने और उस बम को कार से फेंकने के लिए पैसे दिए थे। तमाम इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों और बंदूकों को जब्त कर के पुलिस ने इन सबकी भूमिका साबित कर ली है।
गिरफ्तारी और जांच
पुलिस ने गुड्डू पाल और उसके बेटे नितिन पाल को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही अन्य आरोपी भी हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ जारी है। मामले में गैंगस्टर धारा भी लागू की गई है क्योंकि यह संगठित अपराध का मामला माना जा रहा है। पुलिस ने बताया कि उसने 315 बोर की अवैध बंदूकें और विविध उपकरण बरामद किए हैं।
शासन की प्रतिक्रिया और सवाल
एसीपी धूमनगंज, एडिशनल पुलिस कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर आदि अधिकारियों ने इस मामले को 'पूरा सुनियोजित फर्जीवाड़ा' बताया। गुड्डू पाल को कभी राजू पाल हत्या केस का गवाह नहीं माना जाता; बल्कि यह उसका पाखंड था।आज यह मामला यह सवाल खड़ा करता है कि कैसे एक दोषी व्यक्ति को सुरक्षा मिल सकती है और किस तरह वह सिस्टम का दुरुपयोग कर सकता है।